भारतवर्ष में अमरूद एक लोकप्रिय फल है। अमरूद के आर्थिक व व्यापारिक महत्व की वजह से किसानों का रुझान इसकी तरफ काफी बढ़ रहा है, लेकिन दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण तरह-तरह की नई समस्याओं जिनमें कीट एवं रोग, जड़ गांठ सूत्रकृमि, पोषक तत्वों की कमी आदि की जानकारी के अभाव में किसानों को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। इन सभी तथ्यों को समावेशित करते हुये अमरूद में कीट एवं रोग तथा अन्य समस्याओं के संबंध में किसानों को जानकारी तथा समाधान को उल्लेखित किया गया है।
कीट एवं रोकथाम
फलमक्खी: फल की छोटी अवस्था में ही मक्खी उस पर बैठकर अपने अंडे छोड़ देती है तथा जो बाद में बड़ी होकर सुंड़ी का रूप धारण कर लेती है और अमरुद के फलों को खराब कर देती है, जिससे फल सड़कर गिर जाते है।
रोकथाम:
1. मिथाईल यूजिनल ट्रेप (100 मिलीलीटर मिश्रण में 0.1 प्रतिशत मिथाइल यूजिनोल व 0.1 प्रतिशत मैलाथियान) पेडों पर 5 से 6 फीट ऊँचाई पर लगायें। एक हैक्टेयर क्षेत्र में 10 ट्रेप पर्याप्त होते हैं। ट्रेप के मिश्रण को प्रति सप्ताह बदल दें। फल मक्खी को ट्रेप से विशेष प्रकार की आकर्षित करने वाली गंध आती है। इसको कली से फल बनने के समय पर ही बगीचों में उचित दूरी पर लगा देना चाहिए।
2. शीरा या शक्कर 100 ग्राम को एक लीटर पानी के घोल में 10 मिलीलीटर मैलाथियॉन 50 ई सी मिलाकर प्रलोभक तैयार कर 50 से 100 मिलीलीटर प्रति मिट्टी के प्याले में डालकर जगह जगह पेडों पर टांग दें।
3. मैलाथियॉन 50 ई सी का एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
छाल भक्षक कीट: इस कीट के प्रकोप का अंदाजा पौधों पर इसकी पहचान चायनुमा अपशिष्ट, लकड़ी के टुकड़े तथा अनियमित सुरंग की उपस्थिति से होता है। इसकी लटें अमरुद की छाल, शाखाओं व तना विशेषकर जहां दो शाखाओं का जुड़ाव होता है। वहां पर छेद करके अंदर छिपी रहती है तथा रेशमी धागों से लकड़ी के बुरादे व अपने मल से बने रक्षक आवरण के नीचे खाती हुई टेढ़ी-मेढ़ी सुरंग बना देती है। इससे प्रभावित पौधा कमजोर व शाखायें सूख जाती हैं।
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।