![आर्टीफिशियल इंटेलीजैंसी द्वारा तुड़ाई के उपरांत उचित प्रबंधन](https://cdn.magzter.com/1344336963/1686974547/articles/RAmYgrqU41687176763295/1687177389944.jpg)
कोविड- 19 महामारी ने कृषि उद्योग समेत विश्वभर के अलग-अलग क्षेत्रों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। बेमिसाल संकट ने विश्वव्यापी आहार प्रणालियों, विशेष तौर पर कटाई के बाद के प्रबंधन में कमजोरियों को मशहूर किया है। कृषि उपज की उपलब्धता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा को यकीनन बनाने में कुशल कटाई के बाद प्रबंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह खेतों से खपतकारों की मेजों की ओर जाता है। हालाँकि, महामारी ने पारपंरिक सप्लाई श्रृंखला को बिगाड़ दिया है, जिसमें मजदूरों की कमी, यातायात की पाबंदियाँ एवं मार्केट की अनिश्चितताएं शामिल हैं।
निष्कर्ष के तौर पर, कटाई के बाद की प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाने के लिए नवीनताकारी समाधानों की जरूरत पहले की अपेक्षा कहीं अधिक हो गई है। आर्टीफिशियल इंटेलीजैंस (ए.आई) एवं इन्टरनेट ऑफ थिंगस (आईओटी) परिवर्तनशील टैक्नॉलोजियों के तौर पर उभरे हैं जो कृषि क्षेत्र में कटाई के बाद के प्रबंधन में क्रांति लाने के समर्थ हैं। ए. आई अलगअलग तकनीकों को शामिल करता है, जैसे कि मशीन लर्निंग एवं भविष्यवाणी विश्लेषण, जो कंप्यूटरों को डेटा से सीखने एवं बुद्धिमान निर्णय लेने के योग्य बनाता है। दूसरी तरफ, आई.ओ.टी. इंटरक्नेक्टिड डिवाईसों के नैटवर्क को दिखाता है जो इंटरनेट द्वारा डाटा इकट्ठा करते हैं और एक्सचेंज करते हैं। ए.आई एवं आई. ओ.टी का तालमेल विशेष तौर पर महामारी के दौरान कृषि उद्योग में आई चुनौतियों का समाधान करने के लिए नये युग के परिवर्तनशील टैक्नॉलोजियों का समाधान पेश करता है।
ए.आई एवं आई.ओ.टी की शक्ति का उपयोग करके, कटाई के बाद के प्रबंधन को कटाई एवं छाँटने से लेकर भंडारण एवं बाँट तक हर पड़ाव पर अनुकूल बनाया जा सकता है। यह टैक्नॉलोजियां तापमान, नमी एवं उत्पाद की गुणवत्ता जैसे महत्वपूर्ण मानकों पर समय पर निगरानी, ऑटोमैटिक निर्णय लेने, पूर्व अनुमान विश्लेषण एवं टीका सहित नियंत्रण को समर्थ बनाती हैं। ए. आई एल्गोरिथम एवं आई. ओ.टी समर्थ सैंसरों का लाभ उठा कर, कृषि क्षेत्र के हित्तधारक कुशलता बढ़ाकर, नुक्सान को कम, भोजन सुरक्षा को यकीनन बनाकर एवं कटाई के बाद प्रबंधन प्रक्रिया की समुच्चय प्रणाली में सुधार कर सकते हैं।
2. ए. आई एवं पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में आई. ओ. टी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं
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![बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/YmRpwzSIb1718693879094/1718694013020.jpg)
बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई
धान भारत की एक प्रमुख फसल है। हमारे देश में लगभग 360 लाख हैक्टेयेर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है जिसमें से लगभग 20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र वर्षा आधारित है। असिंचित क्षेत्रों में समय पर वर्षा का पानी न मिलने से किसान लोग समय से कद्दू नहीं कर पाते हैं जिससे धान की रोपाई में विलम्ब हो जाती है।
![वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/zP7nSR0Lm1718693735818/1718693855111.jpg)
वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम
संजय राजाराम एक भारतीय कृषि विज्ञानी हैं जिन्होंने गेहूं की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित की हैं। गेहूं की इन किस्मों से 'कौज' एवं 'अटीला' प्रमुख हैं।
![अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/RO0J4l4P01718693619101/1718693733923.jpg)
अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल
देश में बहुत से किसान अपने ज्ञान और अनुभव के सहारे सूखी धरती पर तरक्की की फसल उगा रहे हैं। ऐसे किसान न केवल खुद खेती से कमाई कर रहे हैं, बल्कि अपनी मेहनत और नई तकनीकों का उपयोग करके दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं।
![ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/LyGmXK_-k1718691968793/1718692059199.jpg)
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने में अभी तक कृषि खाद्य प्रणाली को लक्ष्य नहीं बनाया गया है, जबकि नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने और ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए ऐसा करना जरूरी है। वैश्विक स्तर पर कृषि खाद्य प्रणाली 31 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। भारत के कुल उत्सर्जन में कृषि खाद्य प्रणाली का योगदान 34.1 प्रतिशत, ब्राजील में 84.9 प्रतिशत, चीन में 17 प्रतिशत, बांग्लादेश में 55.1 प्रतिशत और रूस में 21.4 प्रतिशत है।
![ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/zxJWCbEhi1718691892034/1718691969668.jpg)
ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत
विश्व के डेयरी मार्केट में बेहतर ग्रोथ की संभावनाएं हैं क्योंकि आने वाले समय में पशु प्रोटीन के साथ दूध की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ने का अनुमान है। इसकी वजह यूरोपियन यूनियन द्वारा लागू की जा रही ग्रीन डील है।
![कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/D6dJjWV371718691779285/1718691889986.jpg)
कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत
वैश्विक कृषि-खाद्य प्रणाली इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। दुनिया की आबादी वर्ष 2050 तक 980 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसे खिलाने के लिए खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता है।
![कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/jUMjNcdgD1718691688175/1718691777697.jpg)
कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत
भारतीय कृषि को किसानों के लिए फायदे का सौदा बनाने और जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए पुराने तौर-तरीकों से अलग हटकर सोचने की जरूरत है। अभी तक की नीतियों और योजनाओं से मिश्रित सफलता मिली है, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। साथ ही जलवायु परिवर्तन, घटते भूजल स्तर और एग्रीकल्चर रिसर्च के लिए फंडिंग की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने की आवशयकता है।
![कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/SfflGP4bJ1718691596945/1718691685799.jpg)
कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता
कृषि अनुसंधान में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये पर लगभग 13.85 का रिटर्न मिलता है, जो खेती से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियों से मिलने वाले रिटर्न से कहीं अधिक है।
![बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/ZBg2q8gDO1718691524635/1718691593996.jpg)
बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में
अमेरिका की जलवायु विज्ञान का विश्लेषण और सम्बन्धित समाचारों की रिपोर्टिंग करने वाली संस्था क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा हाल ही में किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 तक वैश्विक तापमान अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया।
![गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/oFpksfa6a1718691455813/1718691523130.jpg)
गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...
दुनिया भर में बढ़ता तापमान अपने साथ अनगिनत समस्याएं भी साथ ला रहा है, जिनकी जद से भारत भी बाहर नहीं है। ऐसी ही एक समस्या देश में गहराता जल संकट है जो जलवायु में आते बदलावों के साथ और गंभीर रूप ले रहा है।