बैंगन की खेती किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
Modern Kheti - Hindi|1st February 2024
पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, उसके बाद 3 से 4 बार हैरो या देशी हल चलाकर पाटा लगायें भूमि की प्रथम जुताई से पूर्व गोबर की खाद सामान रूप से बिखेरनी चाहिए। यदि गोबर की खाद उपलब्ध न हो तो खेत में पहले हरी खाद का उपयोग करना चाहिए। रोपाई करने से पूर्व सिंचाई सुविधा के अनुसार क्यारियों तथा सिचाई नालियों में विभाजित कर लेते हैं।
बैंगन की खेती किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार

बैंगन सोलेनैसी जाति की फसल है, जो कि मूल रूप से भारत की फसल है। आमतौर पर इसकी खेती सब्जी के लिए की जाती है। हमारे देश के अलावा यह अन्य कई देशों की भी प्रमुख सब्जी की फसल है। बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्टक या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। यह विटामिन तथा खनिजों का अच्छा स्त्रोत है।

भारत वर्ष में इसकी खेती लगभग पूरे साल की जा सकती है, यानि रबी, खरीफ और ग्रीष्टमकालीन, चीन के बाद भारत दूसरा सबसे अधिक बैंगन उत्पादन वाला देश है। हमारे देश में बैंगन उगाने वाले मुख्य राज्य पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महाराष्टट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान हैं। बैंगन में विटामिन ए तथा बी के अलावा कैल्शियम, फॉस्फोरस और लोहे जैसे खनिज भी होते हैं।

यदि इसकी उन्नत वैज्ञानिक कृषि सस्य क्रियाओं के साथ उन्नत या संकर किस्में उगाई जायें तो इसकी फसल से काफी अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस लेख में बैंगन की उन्नत खेती कैसे करें और उसकी वैज्ञानिक प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।

बैंगन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

बैगन की खेती से अधिकतम उत्पादन लेने के लिए लम्बे तथा गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। इसके बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए 25 डिग्री सेल्सिअस तापमान उपयुक्त माना गया है और पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 13 से 21 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान सर्वोत्तम रहता है।

जब तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से कम हो तो ऐसे समय में पौधों की रोपाई नहीं करनी चाहिए, लम्बे फल वाली किस्मों की अपेक्षा गोल फल वाली किस्में पाले के लिए सहनशील होती है तथा अधिक पाले के कारण पौधे मर या झाड़ीनुमा जाते है।

बैंगन की खेती के लिए भूमि का चयन

बैंगन का पौधा कठोर होने के कारण विभिन्न प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। इसकी फसल से इच्छित उत्पादन के लिए उचित जल निकास और उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है। अगेती फसल के लिए रेतीली दोमट भूमि तथा अधिक उपज के लिए मटियार दोमट भूमि अच्छी रहती है। मृदा का पी एच मान 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए।

बैंगन की खेती के लिए खेत की तैयारी

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM MODERN KHETI - HINDIView all
बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई
Modern Kheti - Hindi

बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई

धान भारत की एक प्रमुख फसल है। हमारे देश में लगभग 360 लाख हैक्टेयेर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है जिसमें से लगभग 20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र वर्षा आधारित है। असिंचित क्षेत्रों में समय पर वर्षा का पानी न मिलने से किसान लोग समय से कद्दू नहीं कर पाते हैं जिससे धान की रोपाई में विलम्ब हो जाती है।

time-read
3 mins  |
15th June 2024
वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम
Modern Kheti - Hindi

वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम

संजय राजाराम एक भारतीय कृषि विज्ञानी हैं जिन्होंने गेहूं की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित की हैं। गेहूं की इन किस्मों से 'कौज' एवं 'अटीला' प्रमुख हैं।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल
Modern Kheti - Hindi

अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल

देश में बहुत से किसान अपने ज्ञान और अनुभव के सहारे सूखी धरती पर तरक्की की फसल उगा रहे हैं। ऐसे किसान न केवल खुद खेती से कमाई कर रहे हैं, बल्कि अपनी मेहनत और नई तकनीकों का उपयोग करके दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक
Modern Kheti - Hindi

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने में अभी तक कृषि खाद्य प्रणाली को लक्ष्य नहीं बनाया गया है, जबकि नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने और ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए ऐसा करना जरूरी है। वैश्विक स्तर पर कृषि खाद्य प्रणाली 31 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। भारत के कुल उत्सर्जन में कृषि खाद्य प्रणाली का योगदान 34.1 प्रतिशत, ब्राजील में 84.9 प्रतिशत, चीन में 17 प्रतिशत, बांग्लादेश में 55.1 प्रतिशत और रूस में 21.4 प्रतिशत है।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत
Modern Kheti - Hindi

ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत

विश्व के डेयरी मार्केट में बेहतर ग्रोथ की संभावनाएं हैं क्योंकि आने वाले समय में पशु प्रोटीन के साथ दूध की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ने का अनुमान है। इसकी वजह यूरोपियन यूनियन द्वारा लागू की जा रही ग्रीन डील है।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत
Modern Kheti - Hindi

कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत

वैश्विक कृषि-खाद्य प्रणाली इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। दुनिया की आबादी वर्ष 2050 तक 980 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसे खिलाने के लिए खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता है।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत
Modern Kheti - Hindi

कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत

भारतीय कृषि को किसानों के लिए फायदे का सौदा बनाने और जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए पुराने तौर-तरीकों से अलग हटकर सोचने की जरूरत है। अभी तक की नीतियों और योजनाओं से मिश्रित सफलता मिली है, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। साथ ही जलवायु परिवर्तन, घटते भूजल स्तर और एग्रीकल्चर रिसर्च के लिए फंडिंग की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने की आवशयकता है।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता
Modern Kheti - Hindi

कृषि अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता

कृषि अनुसंधान में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये पर लगभग 13.85 का रिटर्न मिलता है, जो खेती से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियों से मिलने वाले रिटर्न से कहीं अधिक है।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में
Modern Kheti - Hindi

बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण खाद्य उत्पादन संकट में

अमेरिका की जलवायु विज्ञान का विश्लेषण और सम्बन्धित समाचारों की रिपोर्टिंग करने वाली संस्था क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा हाल ही में किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 तक वैश्विक तापमान अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया।

time-read
2 mins  |
15th June 2024
गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...
Modern Kheti - Hindi

गिर रहा पानी का स्तर चिंता का विषय...

दुनिया भर में बढ़ता तापमान अपने साथ अनगिनत समस्याएं भी साथ ला रहा है, जिनकी जद से भारत भी बाहर नहीं है। ऐसी ही एक समस्या देश में गहराता जल संकट है जो जलवायु में आते बदलावों के साथ और गंभीर रूप ले रहा है।

time-read
2 mins  |
15th June 2024