फसल कटाई का दूसरा खास यंत्र हार्वेस्टर है, जिसे खरीदना हर किसान के बस में नहीं है, जबकि रीपर कई तरह के हैं, जिन्हें किसान अपनी सुविधानुसार खरीद सकते हैं और फसल कटाई करने वाले इस यंत्र से गेहूं, धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, चना आदि फसलों की कटाई बड़ी ही आसानी से की जाती है.
एक तरफ जहां फसल की कटाई में कई घंटे लगते हैं, वहीं यह मशीन कुछ ही समय में कटाई का काम पूरा कर देती है. यह मशीन खड़ी फसल को उस की जड़ के पास से काटती है.
रीपर मशीन के कई मौडल आते हैं. इस में एक स्वचालित यानी आटोमैटिक रीपर मशीन भी है. रीपर यंत्र को पावर टिलर के साथ भी चलाया जाता है और ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलने वाला भी फसल कटाई यंत्र आता है.
पहले जिस काम को करने में कई दिन या हफ्ते लग जाते थे, वैसे सभी काम अब मशीनों से कुछ घंटों में ही आसानी से हो जाते हैं. रीपर बाइंडर मशीन गेहूं की खड़ी फसल को काट कर बंडल बनाते हुए खेत में छोड़ देती है. बाद में किसान इन बंडलों को इकट्ठा कर खेत में ही थ्रैशर से गेहूं की दौनी कर लेते हैं.
रीपर बाइंडर मशीन की सहायता से समतल खेत में जमीन से 5 सैंटीमीटर ऊपर फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है, जिस से भूसे का नुकसान भी नहीं होता है.
कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार की ओर से कृषि यंत्रों पर अनुदान ( सब्सिडी ) दी जाती है. इस के लिए सरकार की ओर से किसानों के लिए अनुदान योजना चलाई जा रही है. यह योजना अलगअलग राज्यों में अलगअलग होती है.
इस योजना की खास बात यह है कि इस में आवेदन कर के किसान कम कीमत पर महंगे कृषि यंत्रों की खरीद भी कर सकते हैं.
रीपर बाइंडर
जैसा कि इस यंत्र के नाम से ही पता चल रहा है कि रीपर बाइंडर मशीन फसल की कटाई के साथसाथ रस्सियों से उन का बंडल भी बनाती चलती है. इस यंत्र की सहायता से खेत में 5 से 7 सैंटीमीटर ऊपर फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है. इस यंत्र के कारण भूसे का नुकसान नहीं होता है. इस मशीन से गेहूं, जौ, धान, जई और अन्य फसलों की आसानी से कटाई कर बंडल बनाया जाता है.
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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
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