मूंग और उड़द की दाल में अनेक प्रकार के पोषक तत्त्व जैसे फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन बी कौंप्लैक्स, कैल्शियम और प्रोटीन के तत्त्व प्रचुर मात्रा में उपस्थित होते हैं. इस के अलावा इस में अन्य दालों की तुलना में ल्यूसीन, लाईसीन, आइसोल्यूसिन, आरजिनीन, फास्फोरस अम्ल और एमिनो एसिड की 8 गुना अधिक मात्रा पाई जाती है. इस के चलते इन में पोषक तत्त्वों की मात्रा अन्य दलहन की तुलना में अधिक होती है.
इस के अतिरिक्त उड़द और मूंग को उगाने से खेत में पत्तियां और जड़ रह जाने के कारण भूमि में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है.
उड़द की फसल को हरी खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है. उड़द के दानों में औषधीय गुण भी होते हैं. इस के सूखे व हरे पौधों से पशुओं के लिए सर्वश्रेष्ठ चारे को प्राप्त किया जाता है. इस की खेती करने से भूमि की उवर्रक क्षमता भी बढ़ती है.
भारत में उड़द की खेती खरीफ और जायद दोनों ही मौसम में कर सकते हैं.
भूमि और उस की तैयारी
उड़द और मूंग की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है. इस की खेती के लिए उचित जल निकास वाली भूमि का होना जरूरी होता है. सामान्य पीएच मान वाली भूमि में इस की खेती को आसानी से कर सकते हैं.
किसान उड़द और मूंग का उत्पादन जायद फसल के रूप में करना चाहते हैं, तो उस के लिए खेत में पानी लगा कर पलेवा कर दिया जाता है.
पलेवा करने के कुछ दिन बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगती है, तब रोटावेटर लगा कर जुताई कर दें. इस से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी. इस के बाद खेत में पाटा लगा कर भूमि को समतल कर दिया जाता है.
अच्छा उत्पादन लेने के लिए जरूरी है कि खेत की तैयारी अच्छी तरह से की जाए. अगर भारी मिट्टी है, तो अधिक जुताई की जरूरत होती है. आमतौर पर 2 से 3 जुताई ही करनी चाहिए. इस के बाद पाटा चला कर खेत को समतल बना लेना फायदेमंद है. इसे ऊंची बढ़वार वाली फसलों के साथ उगाना सही है, जैसेअरहर और उड़द, बाजरा और उड़द या सूरजमुखी और उड़द. आप चाहें तो मक्के के साथ भी इसे उगा सकते हैं.
फसल बोआई का उचित समय और बीज की मात्रा व बीजोपचार
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?