चारे में कैरोटीन, प्रोटीन, कैल्शियम व अन्य खनिज लवण और पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है. हरे चारे में अच्छी मात्रा में पानी की उपस्थिति के कारण चारा काफी स्वादिष्ठ, मुलायम और रसदार होता है व दूध पैदावार में बढ़ोतरी एवं गर्भधारण के लिए पशुओं को गरमी में लाने में मददगार होता है. पशुओं को दिया जाने वाला चारा 2 प्रकार का होता है :
बिना फलीदार हरा चारा
मक्का : यह चारा खरीफ की फसल में तैयार होता है. फूलते समय इन में पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में होते हैं. यह बहुत ही स्वादिष्ठ व पाचक चारा है. इस की अच्छी उपज के लिए खाद की भी जरूरत पड़ती है. जून से जुलाई माह तक इस की बोआई होती है. ऐसी भूमि, जिस में पानी न रुकता हो, मक्का की उपज के लिए सर्वोत्तम है.
चारे के लिए पूसा पीली नंबर 2, मेरठी और केटी 44 नामक मक्के की किस्में काफी अच्छी हैं तकरीबन 2 माह में यह चारा तैयार हो जाता है. एक एकड़ भूमि से तकरीबन 90-110 क्विटल चारा मिलता है. इस से अच्छे किस्म की साइलेज भी बनती है.
जई : इस में प्रोटीन और दूसरे जरूरी पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में मौजूद रहते हैं. यह रबी की मुख्य चारा फसल है. प्रति एकड़ भूमि की बोआई के लिए तकरीबन 40 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. बोआई के समय भूमि में काफी नमी होनी चाहिए. नमी की कमी होने पर खेत में पलेवा लगाना चाहिए. हरे चारे व दाने, दोनों का ही यह सर्वोत्तम स्त्रोत है. अक्तूबर से दिसंबर माह तक इस की बोआई होती है. प्रति एकड़ जई की अनुमानित उपज 150 क्विटल है. इस का प्रयोग सूखी घास बनाने के लिए भी होता है.
सेंजी : गन्ना और जूट बोए जाने वाले क्षेत्र का यह मुख्य चारा है. रबी के मौसम में इस की बोआई होती है. इस के लिए पानी की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती. बोने के तकरीबन 2 महीने बाद इस की कटाई कर सकते है. एक एकड़ भूमि की बोआई के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. प्रति एकड़ इस की अनुमानित उपज तकरीबन 75 क्विटल है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?