खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
Farm and Food|June First 2024
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
डा. आरएस सेंगर, आरटी शेंड तथा अरुण कुमार
खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक

खाद्य सुरक्षा पर पूरी दुनिया में चिंता है. कोविड-19 महामारी ने खाद्य सुरक्षा पर दोबारा नए सिरे से विचार करने का मौका दिया है. जहां संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डवलपमैंट गोल्स के अनुसार, एक ऐसी दुनिया का सपना देखा जाता है, जहां कोई गरीब न हो, जहां कोई भूखा न हो, वहीं इंटरगवर्नमैंटल पैनल औन क्लाइमेट चेंज के अनुसार, साल 2050 तक हमें उपज में 10-25 फीसदी तक की कमी देखने को मिल सकती है. इस का पूरी दुनिया की खाद्य उपलब्धता पर भारी असर पड़ेगा.

जलवायु परिवर्तन के कारण पशुधन के क्षेत्र में भी उत्पादकता, भोजन और चारे की उपज और मवेशियों की सेहत में गिरावट दर्ज होगी. पौधों और जंतुओं पर आधारित बीमारियों का फैलाव बढ़ जाने की भी संभावना होगी. किसानों की आय पर प्रभाव पड़ने से गरीबों के स्तर में भी वृद्धि हो सकती है.

संयुक्त राष्ट्र की संस्था 'फूड ऐंड एग्रीकल्चर और्गनाइजेशन' ने अनुमान लगाया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हमें तकरीबन 122 मिलियन लोग काफी गरीबी में देखने को मिल सकते हैं. भारत के आर्थिक सर्वे ने खेती की आय में कमी होने की बात को दोहराया है. ऐसी संभावनाओं के बीच स्मार्ट तकनीक से स्मार्ट खेती को एक आशा की किरण के रूप में देखा जा सकता है.

आज भारत में डिजिटल तकनीकी का प्रयोग काफी बढ़ रहा है. देश के बड़े व्यक्ति के साथ छोटे से छोटे व्यक्ति के हाथ में भी आप को मोबाइल दिखाई देगा. 50 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण नौजवान गांवों में रोजगार की राह खोज रहे हैं.

यदि इन ग्रामीण नौजवानों को डिजिटल तकनीक का खेती में प्रयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाए, तो इस से नौजवानों को एक नया रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ हमारी खेती की उत्पादन कूवत बढ़ेगी और किसान की अच्छी आमदनी भी सुनिश्चित होगी.

स्मार्ट खेती में उपग्रह आधारित विशिष्ट फसल प्रबंधन, वस्तुओं के इंटरनेट आधारित उपकरण जैसे सैंसर, रोबोट, ड्रोन आदि के प्रयोग से बेहतर खेती, उत्पादकता और आमदनी बढ़ाना, जलवायु परिवर्तन के अनुसार खेती, बेहतर उत्पादन के साथ फसलों में अंतर, क्षेत्र परिवर्तनशीलता को देखने, मापने और डाटा विश्लेषण के आधार पर अच्छे कृषि प्रबंधन को अपना कर स्मार्ट खेती की जा सकती है.

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