छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित बस्तर इलाके में एक के बाद एक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं की हत्या से राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं. सुरक्षा प्रतिष्ठान के लोग इन हत्याओं को माओवादियों की बदली हुई रणनीति का नतीजा मानते हैं, वहीं इन घटनाओं का इलाके की राजनैतिक गतिविधियों पर असर पड़ना तय है. कुल 12 विधानसभा सीटों के साथ बस्तर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए अहम है. भाजपा के लिए और भी ज्यादा क्योंकि वह रायपुर की अपनी राह इसी इलाके से होकर जाती देख रही है.
नारायणपुर जिले के भाजपा उपाध्यक्ष सागर साहू को 10 फरवरी को दो हमलावरों ने छोटे डोंगर स्थित उनके घर पर गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतार दिया. यह हमला भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा की बस्तर यात्रा से एक दिन पहले हुआ. नड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह 11 फरवरी को परिवार से मिलने साहू के घर आए. नड्डा की यात्रा के कुछ घंटों बाद भाजपा से जुड़े पूर्व सरपंच रामधर अलामी की गला रेतकर हत्या कर दी गई. घटनास्थल से एक नोट मिला, जिसमें अलामी को पुलिस भेदिया बताया गया. साहू की हत्या से एक हफ्ते पहले बीजापुर में माओवादियों ने भाजपा के स्थानीय नेता नीलकंठ काकेम को मौत के घाट उतार दिया था, तो पार्टी के बस्तर जिले के पूर्व सचिव बुधराम करताम को भी.
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