हमारे पूर्वज सदियों पहले सौराष्ट्र से चले गए थे. उसके बाद से हम तमिलनाडु के ही होकर रह गए. पहले हम अपने स्तर पर यहां सोमनाथ और द्वारका दर्शन करने तो आते थे लेकिन हमारा पूरा समाज इस तरह से पहले कभी अपने पूर्वजों की धरती पर नहीं आया. सौराष्ट्र तमिल संगम सरकार के लिए हो सकता है कि सिर्फ एक आयोजन हो लेकिन हमारे लिए यह एक भावनात्मक अवसर है."
ये बातें तमिलनाडु में मदुरै की रहने वाली टी. सुमति ने सोमनाथ मंदिर परिसर में कहीं. 60 साल की सुमति यह बात कहते हुए भावुक हो जाती हैं और उनके साथ उपस्थित दर्जनों लोग भी इस पर अपनी सहमति जताते हैं.
सुमति और उनके जैसे कई लोग 17 अप्रैल से गुजरात के सोमनाथ में आयोजित सौराष्ट्र तमिल संगम में शामिल होने पहुंचे थे. यह आयोजन 27 अप्रैल तक चला. भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार 2015 से 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रमों को आयोजित करती आ रही है. सरकार का कहना है कि इन कार्यक्रमों से देश के अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों को आपस में जोड़ने का काम किया जा रहा है. सौराष्ट्र तमिल संगम इन्हीं कार्यक्रमों की श्रृंखला में एक कड़ी है. केंद्र सरकार, गुजरात सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी से यह आयोजन किया गया.
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