केसीआर की महत्वाकांक्षाएं
India Today Hindi|May 17, 2023
आरएस प्रमुख एक तरफ तेलंगाना में अपनी पार्टी को तीसरी बार जिताने की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं खुद दिल्ली की गद्दी पर निगाह गड़ाए हुए हैं. क्या यह सिर्फ खाम-ख्याली है या मुख्यमंत्री के पास अपनी कामयाबी का स्पष्ट खाका है?
अमरनाथ के. मेनन
केसीआर की महत्वाकांक्षाएं

यह लक्ष्य अभी दूर की कौड़ी लग सकता है, लेकिन भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को पूरा भरोसा है कि यह उनकी पहुंच से दूर नहीं है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री, जिन्हें केसीआर के नाम से जाना जाता है, ने 14 अप्रैल को हैदराबाद में डॉ. बी. आर. आंबेडकर की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कहा, "2024 के संसदीय चुनावों के बाद अगली सरकार हमारी बनेगी." पिछले साल अक्तूबर में, सत्ता तक पहुंचने वाली अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर बीआरएस करने वाले केसीआर अब देशभर में मौजूदगी दर्ज कराने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ 'डबल 100' योजना पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. पहले इस साल नवंबर में राज्य विधानसभा चुनाव में 119 सीटों में से 100 सीटें जीतना, और फिर 2024 के मध्य में होने वाले लोकसभा चुनाव में 543 सीटों में से कम-से-कम 100 सीटों पर कब्जा जमाना, बीआरएस का लक्ष्य है.

तीसरे कार्यकाल की उम्मीद पाले बीआरएस को राज्य में कांग्रेस और भाजपा से जिस तरह की चुनौती मिल रही है, उसे देखते हुए यह लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है. बतौर टीआरएस केसीआर की पार्टी के पिछले चुनावी प्रदर्शनों को देखते हुए (देखें बॉक्स), 100 सीटें जीतने का लक्ष्य कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी लगता है, खासकर जब पार्टी नेताओं ने चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. बीआरएस को सिर्फ तेलंगाना में क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता से भी उसकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं क्योंकि आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में इसके उम्मीदवारों को पार्टी के 'एंबेसडर कार' वाले चुनाव चिन्ह के बजाए अलग-अलग निशान पर लड़ना होगा.

बहरहाल, केसीआर ऐसी बाधाओं से पार पाने के लिए कमर कसने में जुटे हैं. आंबेडकर के नाम पर ही बने नए राज्य सचिवालय के पास उनकी प्रतिमा के अनावरण के मौके पर उन्होंने कहा, "हो सकता है कि हमारे विरोधियों को यह बात हजम न हो. पर आग भड़काने के लिए एक चिनगारी ही काफी होती है." इससे एक दिन पहले सरकार की एक इफ्तार पार्टी में केसीआर ने दावा किया कि भारत सही नेता और सही पार्टी की प्रतीक्षा कर रहा है, और देश बचाने की कोशिश के तहत ही टीआरएस ने एक नया नाम अपनाया है.

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