जीवन की सुनहरी शाम
India Today Hindi|November 15, 2023
घर से लेकर घरेलू देखभाल, सैर-सपाटे से लेकर उपभोक्ता सामग्रियों तक एक पूरी अर्थव्यवस्था देश के वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों के इर्द-गिर्द उभरी, जो उन्हें अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने की आजादी मुहैया कराने में मददगार
सोनल खेत्रपाल
जीवन की सुनहरी शाम

देहरादून के अंतरा सीनियर लिविंग थिएटर में उत्साह का माहौल है. 30 लोगों के बैठने की व्यवस्था वाली यह जगह लोगों से खचाखच भरी हुई है और कर्मचारी हड़बड़ी में और कुर्सियां लगा रहे हैं. यहां के रहने वाले 89 बरस के अनिल सूद और 83 बरस की सीमा सूद खास तौर पर रोमांचित हैं, क्योंकि उन्होंने मशहूर अभिनेता की 100वीं सालगिरह मनाने के लिए साँग सीक्वेंस –'देव आनंद की जिंदगी के 60 साल 60 मिनट में ' – तैयार किया है. ईएमआइ/एचएमवी (अब सारेगामा) के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल याद करते हैं कि किस तरह "एचएमवी ने कई साल देव आनंद की फिल्मों से पैसा बनाया... देव के प्रोडक्शन हाउस नवकेतन को सबसे ज्यादा रॉयल्टी एचएमवी से मिलती थी." ज्यों ही उनकी फिल्मों के गाने दे तना शुरू होते हैं, वहां मौजूद तमाम लोग भी उसमें शरीक हो जाते हैं, कुछ साथ-साथ गा रहे हैं, तो कई दूसरे चीअर और हूट कर रहे हैं.

सूद दंपती गुरुग्राम का अपना पांच कमरों का शानदार मकान छोड़कर करीब दो साल पहले अंतरा आ गए. अनिल को हर्पीज के संक्रमण ने पकड़ लिया, और 80 वर्ष से ऊपर के इस दंपती के लिए सेहत और घर दोनों संभालना मुश्किल हो गया. अनिल कहते हैं, “अंतरा स्वर्ग नहीं है, स्वर्ग सरीखा है. यह चार बटन का जिंदगीनामा है; बटन दबाओ और काम हो जाता है."

ये सोने से दमकते बूढ़े हैं, आप चाहें तो इन्हें युवा बुजुर्ग भी कह सकते हैं. ये आजादी से जीने, अपने जैसों के साथ रहने, शरीर और दिमाग से सक्रिय रहने, अकेलेपन से लड़ने और रोजमर्रा के चूल्हा-चौके में फंसे बिना स्वास्थ्य सेवा के करीब रहने की अदम्य इच्छा से प्रेरित हैं. बेशक, उनकी माली हालत ऐसा विकल्प चुनने में मददगार हुई. कोविड- 19 महामारी ने उन्हें एहसास कराया कि जिंदगी छोटी है और उसका कोई भरोसा नहीं और बाकी बचे सालों का भरपूर मजा लो. इसलिए सुविधा- संपन्न माहौल में सामुदायिक रहन-सहन सूद दंपती जैसे अनेक बुजुर्गों के लिए एक विकल्प बन गया है.

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