लगता है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सत्तारूढ़ कांग्रेस को भनक लग गई है कि उनका प्रचार अभियान कमजोर पड़ रहा है. आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले पार्टी अपनी कल्याणकारी योजनाओं के विज्ञापन पर जमकर खर्च कर रही थी, लेकिन उसके बाद उसमें कमी आ गई. सूत्रों के मुताबिक, एक वजह अभियान रणनीतिकारों डिजाइन बॉक्स और राज्य इकाई के बीच मतभेद है.
पिछले महीने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की डिजाइन बॉक्स के मुखिया नरेश अरोड़ा के साथ तकरार हो गई थी. अरोड़ा ने रणनीति की बारीकियां साझा करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया था. कई उम्मीदवारों ने बाद में स्थानीय स्तर पर रोड शो की योजना का विरोध किया और कहा कि उससे उनके प्रचार अभियान में खलल पड़ रहा है. एक वरिष्ठ नेता ने बताया, "यह वक्त ऐसा कुछ करने का नहीं है. हम इलाके में पारंपरिक तरीके पर प्रचार करना बेहतर समझते हैं." नतीजतन, पार्टी ने मेगा शो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल तथा प्रियंका गांधी जैसे केंद्रीय नेताओं के लिए छोड़ दिया है, जो 15-21 नवंबर तक लगभग 10 रैलियां और रोड शो करेंगे. उसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी राज्य में होंगे.
दूसरा बदलाव गहलोत की आंख की किरकिरी बने सचिन पायलट को अधिक तवज्जो देने का है. पायलट के आलोचकों का कहना है कि उनका गुर्जर वोट बैंक कांग्रेस से दूर जा रहा है. लिहाजा, कम से कम दर्जन भर पार्टी उम्मीदवार हार सकते हैं. इस नैरेटिव को भाजपा पूर्वी राजस्थान में पूर्व उप-मुख्यमंत्री के गढ़ को भेदने के लिए खूब हवा दे रही है. अब पार्टी के नए पोस्टरों और बैनरों में गहलोत के साथ पायलट की बराबर तस्वीरें हैं. सचिन पायलट भी अब प्रमुख प्रचारकों में शामिल हो गए हैं.
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