इतिहास भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में था. फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान फतह के लिए अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रखी, जहां जनता हर पांच साल में सरकार बदल देती है. पिछले 25 वर्षों से यही होता आ रहा है. राज्य में सत्ता की बागडोर निवर्तमान कांग्रेस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा की वसुंधरा राजे के हाथों में बारी-बारी रही है. इसे रिवाज का असर भी कहा जाता है. उस लिहाज से तो इस बार सीएम की कुर्सी राजे की होनी चाहिए थी. लेकिन इसके बजाए राज्य में पार्टी का चेहरा और मुख्य प्रचारक खुद पीएम मोदी थे. उन्होंने रेगिस्तानी राज्य में समय और ऊर्जा दोनों का निवेश किया ताकि पक्का किया जा सके कि सरकार बदलने का 'रिवाज' बदलने में गहलोत सफल न हो सकें.
और यह तूफानी अभियान काफी पहले शुरू हो गया. इस साल 9 अक्तूबर को चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही, कई महीनों में प्रधानमंत्री ने दर्जन भर रैलियां कर डाली थीं. इनमें से ज्यादातर केंद्र प्रायोजित परियोजनाओं के उद्घाटन की आड़ में हुईं. तारीखें घोषित होने के बाद उन्होंने करीब 14 सभाओं को संबोधित किया और डेढ़ महीने से भी कम समय में दो रोड शो किए. वास्तव में 25 नवंबर के मतदान से पूर्व के आखिरी हफ्ते में भाजपा के केंद्रीय कमान की तिकड़ी ने ऐन वक्त पर किसी भी गड़बड़ी के अंदेशे को खत्म करने के लिए राज्य में लगभग डेरा डाल दिया था. इस तिकड़ी में मोदी के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा शामिल थे. आदिवासी बहुल क्षेत्रों खासकर मेवाड़ अंचल पर ध्यान केंद्रित करने से सकारात्मक नतीजे निकले. प्रदेश संगठन के 'परिवर्तन यात्रा' जैसे आयोजनों में बहुत कम भीड़ जुटने से नेताओं की चिंता बढ़ गई थी. पर फिर प्रधानमंत्री की रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ ने संगठन में नई जान डाल दी.
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही