जनवरी की 28 तारीख को शपथ ग्रहण के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से कहा, "बिहार के हित में हम काम करते हैं, इसी काम को अब आगे बढ़ाएंगे, बाकी सब कुछ नहीं.'' इस 'बाकी सब कुछ नहीं' का एक अर्थ तो इंडिया गठबंधन से मुक्ति का था, मगर साथ ही उन्होंने यह संकेत भी दिया कि अब उनका कार्यक्षेत्र बिहार तक ही सीमित रहेगा.
डेढ़ साल पहले इसी तरह जब भाजपा को छोड़कर वे महागठबंधन के साथ सरकार बनाने जा रहे थे तो उनके समर्थकों ने नारा लगाया था, “देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो." महज एक महीने पहले दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक के वक्त भी समर्थकों ने पोस्टर लगाया था कि 'अगर इंडिया गठबंधन को जीत चाहिए तो चेहरा नीतीश चाहिए'. अब उनके इस्तीफे और शपथ ग्रहण के बाद, उनके किसी समर्थक ने ऐसा नारा नहीं लगाया.
यह वाजिब भी था, क्योंकि अब वे जिस एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं, उसमें पीएम पद को लेकर कोई भ्रम नहीं है. मगर यह बड़ा सवाल है कि क्या सचमुच नीतीश की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का अंत हो गया है? क्या वे आगे कभी राष्ट्रीय राजनीति में जाना नहीं चाहेंगे? बिहार की राजनीति तक ही खुद को केंद्रित रखेंगे?
पीएम मटीरियल कहलाने लगे थे नीतीश
वह साल 2013 था, जब नीतीश की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा पहली दफा जगजाहिर हुई. उस साल जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को पीएम प्रत्याशी घोषित किया तो नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था. उस वक्त नीतीश ने कहा था, "हमने कोई विश्वासघात नहीं किया. धोखा तो भाजपा ने अपने नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के साथ किया है. उसने अपने लौह पुरुष आडवाणी को जंग लगने के लिए छोड़ दिया है." जून, 2013 में जो उनका नाता भाजपा से टूटा वह चार साल बाद जुलाई, 2017 में ही जुड़ा.
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.