जनवरी की 31 तारीख को लगभग 8 बजे, जब प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने सात घंटे की पूछताछ को उनकी आसन्न के बाद हेमंत सोरेन गिरफ्तारी के बारे में बताया तो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपने परिवार के साथ रहने के लिए थोड़ा वक्त मांगा.
चंपई सोरेन का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए फाइनल करने से पहले सोरेन को पता था कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है. इसलिए, वे अपने पिता शिबू सोरेन की बड़ी तस्वीर के सामने अपने गृह कार्यालय की कुर्सी पर बैठे और राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपने के लिए जाने से पहले उन्होंने 5.15 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया. उस वीडियो संदेश में उन्होंने ऐलान किया, "शिबू सोरेन का बेटा हूं. संघर्ष हमारे खून में है, संघर्ष करेंगे, लड़ेंगे और जीतेंगे."
इसका संदेश स्पष्ट था कि भले ही हेमंत सोरेन मुसीबत में हों, लेकिन वे अगले एक साल की सियासी और कानूनी, दोनों मोर्चों पर आगे की लड़ाई के लिए तैयार हैं, जब आम चुनाव के बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होंगे. राज्य में भाजपा विपक्ष में है, जबकि झामुमो, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का गठबंधन राज्य की सत्ता में है.
हेमंत सोरेन को परिस्थितियों का अंदाजा पहले से हो गया था. रांची में एक भूखंड पर कथित कब्जे से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से 31 जनवरी की रात को गिरफ्तार किए जाने से पहले झारखंड के मुख्यमंत्री ( अब पूर्व) सोरेन इस संकट के बाद की राजनैतिक कार्रवाई को अंतिम रूप दे चुके थे. एक दिन पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में झामुमो, कांग्रेस और राजद के सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक बुलाई थी. उस बैठक का एकमात्र एजेंडा यह था कि अगर ईडी उन्हें गिरफ्तार करती है तो उनकी जगह लेने वाले शख्स का चुनाव कर लिया जाए.
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