भुवनेश्वर में 24 फरवरी को इंडिया टुडे राज्य की दशा-दिशा कॉन्क्लेव-ओडिशा 2024 में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, "दो दशक पहले ओडिशा घोर गरीबी और कुपोषण की मिसाल था... लेकिन अब यह हर दिन विकास की नई ऊंचाइयां छू रहा है, देश में धान का कटोरा बनकर उभर रहा है." एकाध महीने में ही लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव वाले राज्य में यह कोई राजनैतिक बयानबाजी नहीं थी. असल में, सन् 2000 में पटनायक के गद्दी संभालने के बाद ओडिशा में आया बेमिसाल सामाजिकआर्थिक बदलाव ही उस पूरे दिन चर्चा के केंद्र में था. सभी वक्ता एक राय थे कि कल्याणकारी योजनाओं, विकास कार्यक्रमों और उनके बदलावकारी नतीजों से ओडिशा में राजकाज के नए मॉडल की पटकथा लिखी जा रही है.
पटनायक ने 2019 में पांचवीं बार बागडोर संभाली, तो उन्होंने 5टी-ट्रांसपरेंसी, टेक्नोलॉजी, टीमवर्क, टाइम, ट्रांसफॉर्मेशन (पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी, टीम वर्क, समय और बदलाव) के नएनवेले सूत्र के जरिए सभी क्षेत्रों पर संसाधनों के आवंटन पर फोकस किया. इस सूत्र को उनके विश्वस्त सहयोगी, पूर्व नौकरशाह वी. के. पांडियन ने जमीन पर उतारने में मदद की.
इंडिया टुडे की ओर से एमडीआरए के एक स्वतंत्र विश्लेषण से पता चलता है कि ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय 2011-12 से 2022-23 तक तीन गुना बढ़ गई है, जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत वृद्धि 2.7 गुना है. फिलहाल राज्य की प्रति व्यक्ति आय लगभग 1.5 लाख रुपए सालाना है, जो बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल से अधिक है.
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.