प्रतिष्ठित लेखक सैमुअल बटलर ने 1903 छपे अपने उपन्यास द वे ऑफ ऑल फ्लेश में लिखते हैं, 'खुद ही अपनी पीठ थपथपाने या गुणगान करने का लाभ यह है कि उसे पूरे वजन के साथ बिल्कुल माकूल मौके पर फिट किया जा सकता है.' इस फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दस साल के आर्थिक एजेंडे की तुलना मनमोहन सिंह के कार्यकाल से करने के लिए संसद में श्वेत-पत्र पेश करते वक्त केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "दशक भर में ही हम (मनमोहन सिंह के कार्यकाल में) फ्रेजाइल फाइव (लड़खड़ते पांच) से शीर्ष पांच की लीग में पहुंच गए." यह सही है कि जब नरेंद्र मोदी ने 2014 में मनमोहन सिंह के बाद सत्ता संभाली थी तब देश की अर्थव्यवस्था दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करती थी, लेकिन अब वह 37 खरब डॉलर (308 लाख करोड़ रुपए) की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है. फिर, कोविड- 19 महामारी के दौरान एकदम गर्त में पहुंची देश की अर्थव्यवस्था में मोदी सरकार वित्त वर्ष 2024 में 7.6 फीसद की प्रभावी वृद्धि के साथ जान फूंकने में कामयाब हुई है. इससे हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं. ये उपलब्धियां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में युद्धघोष और केंद्र में लगातार तीसरी बार बहुमत हासिल करने के खातिर मूलमंत्र बन गई हैं. प्रधानमंत्री प्रचार रैलियों में खुद के नाम पर 'मोदी की गारंटी' की बात करते हैं, और आजादी के सौ साल पूरे होने पर 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का अपना नजरिया पेश करते हैं. यही नहीं, वे अगले तीन साल में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का तात्कालिक वादा भी करते हैं. इस तरह वे बताते हैं कि उनकी सरकार और उन्हें बतौर प्रधानमंत्री लगातार तीसरा कार्यकाल मिला तो अर्थव्यवस्था में तेजी से गरीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों के जीवन में व्यापक सुधार होगा.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"