नरेंद्र मोदी की ख्वाहिश देश के चुनावी इतिहास में जिस रूप में अपना नाम दर्ज कराने की थी, ऐन वैसा नहीं हो पाया. मोदी 9 जून को शपथ लेते हैं तो वे छह दशकों में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले दूसरे नेता होंगे. बेशक, यह अपने आप में ही एक असाधारण उपलब्धि है. लेकिन मोदी के लिए 2024 के चुनाव के नतीजे निजी झटके की तरह देखे जा रहे हैं. 2014 और 2019 के आम चुनावों में अपनी अगुआई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगातार दो बार बहुमत के बाद वे यही चाहते कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रिकॉर्ड की बराबरी की जाए. नेहरू ने 1952, 1957 और 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा में बहुमत की हैट्रिक बनाई थी. लेकिन मोदी वैसा नहीं कर पाए और 2024 के चुनाव में बहुमत उनसे दूर छिटक गया.
लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आए तो भाजपा की सीटें 2019 में 303 से 20 फीसद घटकर इस बार 240 पर आ गईं. पार्टी अपने दम पर 543 सदस्यों वाले सदन में 272 सीटों के साधारण बहुमत से 32 सीटें पीछे रह गई. उसे सरकार बनाने के लिए 53 सीटें जीतने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू पर निर्भर होना पड़ा है. विपक्ष में कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन यानी इंडिया ने 234 सीटों के साथ आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया. कांग्रेस का 99 सीटों का आंकड़ा 2009 में जीती 206 सीटों के मुकाबले मामूली लग सकता है. तब वह सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अगुआ थी. लेकिन उसके बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गई. वह 2014 और 2019 के चुनावों में क्रमशः 44 और 52 सीटें ही जीत पाई थी. इस बार पार्टी उस गर्त से ऊपर उठने में कामयाब हो गई है और उसने अपनी संख्या लगभग दोगुनी कर ली है. 'इंडिया' ब्लॉक के लिए सबसे अहम यह है कि मोदी का तीसरा कार्यकाल एक दशक के अंतराल के बाद देश में गठबंधन की राजनीति की वापसी का प्रतीक है.
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.