कार्बन जीरो वाली स्थिति हासिल करने की कवायद
India Today Hindi|August 28, 2024
देश 2070 तक बिलकुल शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा की ओर बढ़ रहा. उसे हरित ऊर्जा की आपूर्ति में दुनिया में अगुआ कहलाने के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों और अक्षय ऊर्जा उत्पादन इन्फ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठाने की दरकार
जुमाना शाह
कार्बन जीरो वाली स्थिति हासिल करने की कवायद

यकीनन भारत खुद ही नहीं, दूसरों को भी प्रदूषण मुक्त या हरित भविष्य की ओर बढ़ने को प्रेरित कर सकता है. दरअसल, भारत कुल मात्रा के मामले में कार्बन उत्सर्जन करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश भले हो, मगर इसका प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन भी सबसे कम है. अब यह अपने प्रतिबद्ध लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में तेज कदम बढ़ा रहा है, ताकि देश की 50 फीसद ऊर्जा गैर-कार्बन स्रोतों से हासिल हो और 2030 तक 500 गीगावाट से अधिक प्रदूषण मुक्त स्रोतों से बिजली उत्पादन हो. इतना ही नहीं, भारत अपने राष्ट्रीय निर्धारित योगदान या एनडीसी को पूरा करने में ब्रिटेन और जर्मनी सरीखे विकसित देशों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. असल में, इन दोनों यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव के मद्देनजर अपने लक्ष्य घटा दिए हैं. भारत की योजना 2070 तक बिल्कुल शून्य उत्सर्जन के पैमाने को छू लेने की है, जो हाल ही में वैश्विक जलवायु परिवर्तन बैठक में निर्धारित लक्ष्य है.

बस यहीं से भारत की यात्रा थोड़ी पेचीदा होने वाली है. दरअसल 2047 तक हमारी ऊर्जा की जरूरतें दोगुनी होने की उम्मीद है. देश में बिजली की अधिकतम मांग फिलहाल के 245.2 गीगावाट से बढ़कर 2031-32 में 400 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है. फिर हरित ऊर्जा महंगी भी है. भारत इसके उत्पादन को सस्ता बनाने के लिए टेक्नोलॉजी पर आश्रित है. ऊपर से समय-सीमा का भी मामला है. जैसा कि चेक- कनाडाई वैज्ञानिक तथा नीति विश्लेषक वाक्लाव स्मिल कहते हैं, "एक प्रमुख ईंधन से बड़े पैमाने पर दूसरे में बदलाव में आम तौर पर 50-60 साल लगते हैं. इसके लिए एक नहीं, कई पीढ़ियों के पक्के इरादों की दरकार होगी." फिलहाल उपलब्ध लगभग सभी वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन के लिए भारत अहम कच्चे माल और मशीनरी के आयात पर निर्भर है, जबकि चीन महत्वपूर्ण खनिजों और 'रेयर अर्थ' का अपरिहार्य स्रोत बन गया है.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM INDIA TODAY HINDIView all
तन्हाई में तारों से बातें
India Today Hindi

तन्हाई में तारों से बातें

पूर्वा नरेश ने दोस्तोएव्स्की की कहानी व्हाइट नाइट्स के अपने म्यूजिकल रूपांतरण चांदनी रातें में नौटंकी शैली का उपयोग किया

time-read
2 mins  |
February 26, 2025
धुरंधरों के साथ नए चेहरे भी
India Today Hindi

धुरंधरों के साथ नए चेहरे भी

विश्व शतरंज चैंपियन डी. गुकेश और पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वालीं तीरअंदाज शीतल देवी लोगों की नई पसंद हैं. पुरुष-महिला क्रिकेटर तो खैर शीर्ष पर हैं ही. सिंधु और नीरज भी अपनी सूची में दूसरों से काफी आगे रहते हुए चोटी पर

time-read
2 mins  |
February 26, 2025
पक्ष में सबसे ज्यादा योग
India Today Hindi

पक्ष में सबसे ज्यादा योग

आठ साल से उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज योगी आदित्यनाथ ने लगातार 10वीं बार सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री का दर्जा हासिल कर दर्शा दिया है कि देशभर में उनकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं

time-read
2 mins  |
February 26, 2025
कुछ तो पक रहा है
India Today Hindi

कुछ तो पक रहा है

अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा ने फिल्म मिसेज में दमदार काम किया है, जो 2021 की मलयालम फिल्म द ग्रेट इंडियन किचन की हिंदी रीमेक है

time-read
2 mins  |
February 26, 2025
अब पंजाब की पहरेदारी
India Today Hindi

अब पंजाब की पहरेदारी

अरविंद केजरीवाल के लिए सवाल यह नहीं है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) का भविष्य है या नहीं. उनके लिए प्रश्न यह है कि पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में एक आइडिया के रूप में प्रासंगिक रहेगी या नहीं. दिल्ली में पार्टी की हार के तीन दिन बाद 11 फरवरी को मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब के 95 में से 86 आप विधायकों के साथ उनकी आधे घंटे बैठक हुई. माना जाता है कि इसमें केजरीवाल ने बताया कि पार्टी के भविष्य को लेकर उनके मन में क्या है.

time-read
4 mins  |
February 26, 2025
चौकन्ना रहने की जरूरत
India Today Hindi

चौकन्ना रहने की जरूरत

आम तौर पर मोदी सरकार की विदेश नीति लोगों को पसंद आती है लेकिन कई लोगों का मानना है कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते खराब हुए हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा पर भारत की प्रतिक्रिया को लेकर भी लोग फिक्रमंद

time-read
2 mins  |
February 26, 2025
हमारे गेहुंएपन का स्वीकार
India Today Hindi

हमारे गेहुंएपन का स्वीकार

एक मजहब का धर्म रु चुनने की प्रक्रिया के बहाने हमें सहिष्णुता और स्वीकार के सार्वभौमिक धर्म की सीख दे जाती है एडवर्ड बर्गर की कॉन्क्लेव

time-read
2 mins  |
February 26, 2025
भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग
India Today Hindi

भाजपा ने ऐसे जीता दिल्ली का दुर्ग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 फरवरी को जब भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे तो उनका उत्साह हमेशा के मुकाबले एक अलग ही मुकाम पर था.

time-read
2 mins  |
February 26, 2025
विकास की कशमकश
India Today Hindi

विकास की कशमकश

एक ओर जहां कमजोर मांग, कम निवेश और दुनियाभर में अनिश्चितता की वजह से भारत की वृद्धि पर असर पड़ रहा है, वहीं आसमान छूती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी कर में मिली राहत को ढक रही है. इन सबकी वजह से आम आदमी का संघर्ष और आर्थिक परेशानियां बढ़ रहीं

time-read
6 mins  |
February 26, 2025
उथल-पुथल का आलम
India Today Hindi

उथल-पुथल का आलम

सामाजिक-राजनैतिक सुधारों के लिए सरकार को मजबूत समर्थन मिल रहा मगर लोकतंत्र, धार्मिक ध्रुवीकरण और महिला सुरक्षा को लेकर चल रही खदबदाहट से इससे जुड़ी चिंताएं उजागर

time-read
3 mins  |
February 26, 2025