मूक फिल्मों से लेकर कई भाषाओं में उनके निर्माण तक भारतीय सिनेमा बीती सदी में बड़े ही असरदार ढंग से विकसित हुआ है. बॉम्बे (अब मुंबई) और हॉलीवुड को मिलाकर गढ़ा गया 'बॉलीवुड' शब्द शायद ज्यादा जाना-पहचाना हो लेकिन इसमें एक संकीर्ण नजरिया दिखता है. यह भारतीय सिनेमा के एक हिस्से को रेखांकित करते हुए उसी को विश्व फलक पर पेश करता दिखता है. भारतीय सिनेमा सचमुच सतरंगी इंद्रधनुष की तरह है जो विभिन्न इलाकाई जबानों, संस्कृतियों और आख्यानों के किस्से बयान करता है. अब 'भारतीय सिनेमा' को गले लगाने और हमारे बहुत बड़े तथा विविधता भरे फिल्म उद्योग को सही ढंग से पेश करने का वक्त आ गया है. भारतीय सिनेमा में कई तरह की जबानें और किस्सागोई की शैलियां शामिल रही हैं. यह परंपरा हमारे सांस्कृतिक तानेबाने के भीतर गहराई से जमी है. के. आसिफ, संजय लीला भंसाली और अनुराग कश्यप सरीखे नया रास्ता दिखाने वाले फिल्मकारों ने अपनी किस्सागोई में संगीत को बेहद निर्णायक ढंग से इस्तेमाल करके अफसाने गढ़े हैं और अपनी फिल्मों के जज्बाती असर को बढ़ाया है. संगीत और किस्सागोई का मेल भारतीय सिनेमा की पहचान है. इसमें नृत्य और संगीत से हमारा गहरा लगाव झलकता है. साथ ही इसके आज के रुझान और अनूठी शैली की किस्सागोई की शक्ल में उसके ढलने का पता चलता है.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.