गुकेश डोम्माराजू के मन में बचपन की बहुत ज्यादा यादें नहीं हैं, पर एक उनके दिलो-दिमाग में साफ उकेरी हुई है. सात साल के गुकेश तब शतरंज के नौसिखुआ खिलाड़ी थे और चेन्नै के हयात जेंसी होटल के उस खचाखच भरे कमरे में विश्व चैंपियनशिप के खिताब की खातिर विश्वनाथन आनंद और मैग्नस कार्लसन के बीच दो-दो हाथ होते देखने के लिए बहुत पीछे अपने पिता के साथ खड़े थे. यह बच्चा तब काले-सफेद चौखाने तो नहीं देख सका, लेकिन दो महान खिलाड़ियों को देखना भर इतना " प्रेरणादायक था" कि गुकेश ने उसी पल एक सपना देख लिया.
वे कहते हैं, "मैंने सोचा कि एक दिन उस ग्लास बॉक्स के भीतर होना मजेदार होगा." अब वायरल हुई एक क्लिप में चार साल बाद उन्होंने अपनी इच्छा को बेहतर ढंग से बयान किया: "मैं सबसे कम उम्र का विश्व शतरंज चैंपियन बनना चाहता हूं.' दिसंबर 2024 की 12 तारीख को कुल जमा 18 वर्ष की उम्र में " केश ने 14 दिनों के दौरान 56 घंटे चले मुकाबले में डिंग लिरेन के खिलाफ रोमांचक मुकाबला जीतकर अपनी वह इच्छा पूरी कर ली. ऐसा करते हुए इस किशोर ने न केवल गैरी कास्परोव का शतरंज का सबसे युवा विश्व चैंपियन होने का रिकॉर्ड तोड़ दिया, बल्कि यह खिताब जीतने वाले मात्र दूसरे भारतीय (नब्बे के दशक में आनंद के इसी पराक्रम के बाद) भी बन गए.
“मैंने देखा कि उसमें बहुत प्रतिभा है... वह खुद अपने से टूर्नामेंट देखकर सीखा है, इस मायने में उसने मुझे अपने युवा दिनों की याद दिला दी. ' - विश्वनाथन आनंद, डी. गुकेश के बारे में "
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
सबसे अहम शांति
देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
एक गुलदस्ता 2025 का
अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.
मौन सुधारक
आर्थिक उदारीकरण के देश में सूत्रधार, 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
हिंदुस्तानी किस्सागोई का यह सुनहरा दौर
भारतीय मनोरंजन उद्योग जैसे-जैसे विकसित हो रहा है उसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आने, वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बनने और एकदम स्थानीय स्तर के कंटेंट के कारण नए अवसर पैदा हो रहे. साथ ही दुनियाभर के दर्शकों को विविधतापूर्ण कहानियां मिल रहीं
स्वस्थ और सेहतमंद मुल्क के लिए एक रोडमैप
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारी चुनौतियों का पैमाना विशाल है. 'स्वस्थ और विकसित भारत' के लिए मुल्क को टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग, प्रिडिक्टिव प्रिसीजन मेडिसिन, बिग डेटा और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कहीं ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 में भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है
अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
हिंदू-मुस्लिम दोफाड़ अब भी जबरदस्त राजनैतिक संदर्भ बिंदु है. अपने दम पर बहुमत पाने में भाजपा की नाकामी से भी सांप्रदायिक लफ्फाजी शांत नहीं हुई, मगर हिंदुत्व के कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आरएसएस की प्रतिक्रिया अच्छा संकेत
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है