जगन्नियन्ता परमात्मा के द्वारा निष्पादित उत्पत्ति, स्थिति और संहार आदि लीला - विलास के मूल में यह आद्याशक्ति ही विद्यमान है। सनातन धर्म में प्रत्येक साधना-उपासना के लिए काल-विशेष का महत्त्व बताया है। यथा पाञ्चरात्रादि में विष्णुरात्र, इन्द्ररात्र, ऋषिरात्र आदि।
उपासना की दृष्टि से वर्ष में चार महारात्रियाँ यथा; शिवरात्रि, मोहरात्रि ( जन्माष्टमी), महारात्रि (दीपावली) और कालरात्रि (होलिका दहन) आदि का उल्लेख भी किया गया है।
शक्ति-उपासना के लिए यद्यपि चैत्र के नवरात्र एवं आश्विन मास के नवरात्र का महत्त्व बताया गया है, तथापि आश्विन माह के शारदीय नवरात्र में शक्तिरूपा दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की आराधना विशेष फलदायी कही गई है।
शरत्काले महापूजा क्रियते या च वार्षिकी। तस्यां ममैतन्माहात्म्यं श्रुत्वा भक्तिसमन्वितः ॥
सर्वबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वितः । मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॥
अर्थात् 'शरद् ऋतु में जो मेरी महापूजा नवरात्र-पूजन होता है, उसमें श्रद्धाभक्ति के साथ मेरे इस देवीमाहात्म्य (सप्तशती) का पाठ अथवा श्रवण करना चाहिए। ऐसा करने पर निःसन्देह मेरे कृपा-प्रसाद से मानव सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त होता है और धन-धान्य, पशु-पुत्रादि सम्पत्ति से सम्पन्न हो जाता है।'
देवी-माहात्म्य को 'सप्तशती' के रूप में प्राय: सभी लोग जानते हैं। ‘सप्तशती' में सुमेधा ऋषि ने राजा सुरथ को एवं समाधि नामक वैश्य को महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती तीनों महाशक्तियों का चरित्र सात सौ मन्त्रात्मक श्लोकों के माध्यम से समझाया है।
महाशक्ति की आराधना हेतु सप्तशती पाठ एवं नवार्ण मंत्र का जप नवरात्र में ही विशिष्ट फलदायी क्यों होता है? इस विषय का चिन्तन इस संक्षिप्त लेख में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
श्रीगणेश नाम रहस्य
हिन्दुओं के पंच परमेश्वर में भगवान् गणेश का स्थान प्रथम माना जाता है। शंकराचार्य जी ने के भी पंचायतन पूजा में गणेश पूजन विधान का उल्लेख किया है। गणेश से तात्पर्य गण + ईश अर्थात् गणों का ईश से है। भगवान् गणेश को कई अन्य नामों से भी पूजा जाता है जैसे विघ्न विनाशक, विनायक, लम्बोदर, सिद्धि विनायक आदि।
प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
कृष्ण चरित के प्रतिनिधि शास्त्र भागवत और महाभारत में राधा का उल्लेख नहीं होने के बावजूद वे लोकमानस में प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक के रूप में बसी हुई हैं। सन्त महात्माओं ने उन्हें कृष्णचरित का अभिन्न अंग माना है। उनकी मान्यता है कि प्रेम और भक्ति की जैसे कोई सीमा नहीं है, उसी तरह राधा का चरित, उनकी लीला और स्वरूप भी प्रेमाभक्ति का चरमोत्कर्ष है।
राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव
राजस्थान के देवी-देवताओं में बाबा रामदेव का नाम काफी विख्यात है। इनके अनुयायी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और सिन्ध (पाकिस्तान) आदि में बड़ी संख्या में हैं।
जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव
जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है।