व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
Jyotish Sagar|September 2024
ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
रविन्द्र दाधीच
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?

ज से पहले व्यावसायिक वास्तु ( ऑफिस और कॉरपेट) का कल्चर इतना अधिक नहीं था, जितना की आज है, क्योंकि इन्सान की आवश्यकताएँ समय के अनुसार बदलती हैं और आज के समय की माँग उद्योग-व्यापार है। ऐसे में पहले की तुलना में निर्माण कार्यों में वर्तमान में तेजी से वृद्धि हुई है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि पहले के समय में व्यावसायिक वास्तु नहीं था। व्यावसायिक वास्तु तो था, तभी तो शेरमुखी और गौमुखी प्लॉट (भूमि) का कॉन्सेप्ट वास्तु में लागू हुआ। ऐसे में हमारे पुरातन वास्तुशास्त्र में जिन सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है, उसको कैसे हम अपने वर्तमान और आधुनिक निर्माण कार्यों में लगा सकते हैं?

व्यावसायिक वास्तु में आगे बढ़ने से पहले हमें इस बात की पुष्टि कर लेनी चाहिए, कि आप जिस भूमि अथवा जमीन में उद्योग स्थापित करना चाहते हैं, उसका मुख (फेसिंग) किस दिशा की ओर होना चाहिए? वास्तुशास्त्र में किस तरह के लिए किस प्रकार का निर्माण होता है?

व्यावसायिक वास्तु के अन्दर यदि आप निर्माण पर विचार कर रहे हैं, तो वास्तुशास्त्र इसके लिए अलग-अलग व्यापार के लिए अलग-अलग दिशाओं वाले प्रतिष्ठान का निर्माण करने की सलाह देता है। ऐसे में यदि आप सरकारी संस्थान अथवा गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट में हों अथवा आप शैक्षणिक संस्थान, वकील, राजनीतिक कार्यालय, मनोरंजन और मीडिया से सम्बन्धित बिजनेस में हैं, तो ऐसे में पूर्वाभिमुख व्यावसायिक भवन आपके लिए लाभकर होंगे।

यदि आप चिकित्सक अथवा सर्जन हैं, फार्मा इण्डस्ट्री, शल्य चिकित्सा, फार्मास्यूटिकल, सौर ऊर्जा, बॉयलर, भट्टी, विद्युत् उपकरण, गल्ले की दूकान, परचून की दूकान, कॉर्पोरेट यूनिट जैसे उद्योगों से सम्बन्धित कार्य करते हैं, तो ऐसे में आपको वास्तु अनुसार दक्षिणमुखी कार्यालय आपके लिए बेहतर होते हैं।

यदि आप जिम, बिल्डर, डवलपर्स, परिवहन, स्नेहक, पानी, दूध, पेट्रोलपम्प, आइसक्रीम, ऑटोमोबाइल, तेल अथवा गैस का व्यापार करते हैं, या फिर कर्मचारी चयन से सम्बन्धित व्यापार अथवा काम करते हैं, तो आपको पश्चिममुखी ऑफिस अच्छे परिणाम देने वाले होंगे। इसके अतिरिक्त यदि आपका ऐसे व्यापार से सम्बन्ध हैं, जैसे फैशन, सीए, डिजाइनर, कंसलटेंट, हॉस्पिटल, क्लीनिक, शिक्षण संस्थान, वित्तीय संस्थान, तो इसके लिए उत्तरमुखी ऑफिस सर्वाधिक अच्छा होता है।

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हिन्दुओं के पंच परमेश्वर में भगवान् गणेश का स्थान प्रथम माना जाता है। शंकराचार्य जी ने के भी पंचायतन पूजा में गणेश पूजन विधान का उल्लेख किया है। गणेश से तात्पर्य गण + ईश अर्थात् गणों का ईश से है। भगवान् गणेश को कई अन्य नामों से भी पूजा जाता है जैसे विघ्न विनाशक, विनायक, लम्बोदर, सिद्धि विनायक आदि।

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प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
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