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उत्तराखण्ड का लोकपर्व फूल संक्रान्ति
Jyotish Sagar
|March 2023
नवसंवत्सर पर विशेष
यह लोकपर्व उत्तराखण्ड में कहीं सात दिन, कहीं पन्द्रह दिन, तो कहीं पूरे महीनेभर मनाया जाता है। इसे 'नववर्ष का पर्व' भी कहा जाता है, क्योंकि यह चैत्र मास के पहले दिन से शुरू होता है। वैसे इसका सम्बन्ध ऋतुराज बसन्त के आगमन से भी है।
उत्तराखण्ड में भारतीय नववर्ष का अभिनन्दन चैत्र के पूरे महीने एक त्योहार के माध्यम से किया जाता है। इसे 'फूल संक्रान्ति', 'फूलदेई' अथवा 'फुलरिया' नाम से जाना जाता है। यह लोकपर्व उत्तराखण्ड में कहीं सात दिन, कहीं पन्द्रह दिन, तो कहीं परे महीनेभर मनाया जाता है। इसे 'नववर्ष का पर्व' भी कहा जाता है, क्योंकि यह चैत्र मास के पहले दिन से शुरू होता है। वैसे इसका सम्बन्ध ऋतुराज बसन्त के आगमन से भी है।
चैत्र मास के प्रारम्भ होते ही प्रथम दिन की सुबह बच्चे छोटीछोटी टोलियाँ बनाकर बाँस की रंगीन टोकरियों में बुरांश के लाल फूलों को सजाकर घूमते हैं। इस पर्व के लिए बाँस अथवा रिंगाल की छोटी-छोटी डालियाँ पहले से ही विशेष रूप से बनाई जाती हैं। इन डालियों को सुन्दर चटक रंगों से चित्रित करके और अधिक कलात्मक बनाया जाता है।
Cette histoire est tirée de l'édition March 2023 de Jyotish Sagar.
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