आद्याशक्ति की उपासना भारत ही नहीं वरन् विश्वभर में आदिकाल से प्रचलति रहती है। शक्ति को ऊर्जा अर्थात् चेतना प्रदान करने वाली अधिष्ठात्री देवी माना गया है। जिस प्रकार जगत् की सृष्टि, स्थिति, संहार के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव को आदिदेव माना जाता है, उसी के अनुरूप उनकी शक्ति को सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती माना गया है। परातत्त्व जैसे विष्णु, शिव, राम एवं कृष्ण रूप में भिन्न होकर भी अभिन्न हैं, वैसे ही उनकी पराशक्ति के रूप में रमा, दुर्गा, सीता, राधा रूप भी नित्य है। भिन्न होकर भी अभिन्न हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस आद्याशक्ति की उपासना नौ दिनों में की जाती है, जिन्हें 'नवरात्र' कहा गया है। वर्षभर में चार नवरात्र आते हैं, जो अग्रलिखित हैं-
1. बासन्तिक नवरात्र (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक);
2. आषाढ़ीय गुप्त नवरात्र (आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक);
3. शारदीय नवरात्र (आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक एवं
4. माघीय गुप्त नवरात्र (माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक)।
गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है। ये हैं : माँ काली, तारा, त्रिपुर सुन्दरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी। ये दस महाविद्याएँ दस रुद्रावतारों की शक्तियाँ हैं, जो ऊर्जा प्रदान करती हैं। गुप्त नवरात्र में इनकी साधना की जाती है। चैत्र मास के नवरात्र को बासन्तिक नवरात्र के रूप में माना गया है। इसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है।
देवी के नौ रूप
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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
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सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
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सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
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ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
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