श्रीकृष्ण कहते हैं कि समस्त वृक्षों में पीपल का वृक्ष सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि यह साक्षात् मेरा ही रूप है।
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नमः ॥
आयुः प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदाम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गतः ।
अर्थात् पीपल की जड़, मध्य भाग एवं अग्रभाग में क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास होता है। यही नहीं, इसके अन्य भागों में वसु, रुद्र, वेद, यज्ञ, समुद्र, कामधेनु के साथ ही कई अन्य देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। आइए जानते हैं, इतने महान् वृक्ष पीपल की महिमा और इसकी कथा :
पीपल का वृक्ष के लगाने अथवा पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने से ग्रहों की शान्ति होती है। यदि जन्मकुण्डली में ग्रह अपना प्रभाव सही नहीं दे रहे हैं, तो पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने से उ ग्रह की शान्ति हो जाती है। देखा गया है कि जिस जातक की जन्मकुण्डली में राहु और केतु का प्रभाव अशुभ हो, तो पीपल का वृक्ष लगाने से इन ग्रहों की शान्ति होती है। यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में शनि का कुप्रभाव है, जैसे साढ़ेसाती अथवा ढैया है, तो पीपल का वृक्षारोपण किया जाए, तो शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। यहाँ तक कि अगर पीपल के वृक्ष पर जल भी चढ़ाते हैं, तो उससे भी शनि ग्रह की शान्ति होती है।
पीपल पर जल कैसे चढ़ाएँ?
एक लोटा लीजिए। उसमें दूध और थोड़ा-सा उसमें गुड़ डालें और जल मिलाएँ। आपका मुँह जल चढ़ाते समय या तो पूर्व दिशा में सर्वोत्तम रहता है या फिर उत्तर दिशा में उत्तम रहता है। फिर पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएँ। शनिवार के दिन जल चढ़ाना विशेष लाभकारी माना जाता है। जब भी आप पीपल पर जल अर्पित करें, तो निम्नलिखित मन्त्र का जप करना चाहिए:
आयुः प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदाम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गतः।।
अर्थात हे पीपल देवता! आयु भी दीजिए, सन्तति, समृद्धि, धन-धान्य आदि सब कुछ आप मुझे दीजिए, मैं आपकी शरण में आया हूँ।
जन्मपत्रिका के ग्रह के प्रभाव की शान्ति के लिए पीपल पर जल अर्पित करते समय निम्नलिखित शनि मन्त्र का स्मरण करें :
ॐ शं शनैश्चराय नमः ।
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