Akhand Gyan - Hindi - May 2020Add to Favorites

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Akhand Gyan Hindi May 2020

कोरोना महामारी...जिम्मेदार कौन ?

कहने को सिर्फ एक शब्द है, लेकिन गहराई इसमें बहुत है- 'फोर्स मेज्योर' (force majeure) जिसका लेबल वर्तमान कोरोना महामारी पर लगाया जा रहा है। इसी को 'एक्ट ऑफ गॉड' भी कहते हैं, माने भगवान द्वारा किया गया कार्य।

कोरोना महामारी...जिम्मेदार कौन ?

1 min

प्रकृति का रौद तांडव कैसे थमेगा

कोरोना महामारी के चलते कुछ पाठकों की माँग पर नवम्बर 2009 में प्रकाशित यह लेख पुनर्प्रकाशित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी का एक पर्यावरणविद् (Environmentalist) के साथ हुआ संवाद सारांशतः प्रस्तुत है। उस पर्यावरणविद् ने श्री महाराज जी से जिज्ञासा की थी कि पृथ्वी पर एक उज्ज्वल काल था, जब हर ओर शान्ति गीत गुंजायमान थे।... पर आज क्यों यह शांति खण्ड-विखण्ड और भंग दिखाई देती है? क्यों पृथ्वी, आकाश, वायुमण्डल विकराल विभीषिका का रूप धारण कर चुके हैं? प्रकृति मानो विध्वंसक तांडव पर उतर आई है। ममता से हमें अन्न-धान्य परोसने वाली, सुहावनी ऋतुओं से सहलाने वाली प्रकृति माँ आखिर आज क्यों रौद्ररूपा या संहारक चंडिका बन गई है? इस जिज्ञासा के प्रत्युत्तर में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ने प्रकृति और व्यक्ति के परस्पर सम्बन्ध को दार्शनिक और वैज्ञानिक शैली में बड़ी गूढ़ता से उजागर किया था। गुरुदेव के ये विचार वर्तमान समय के लिए न केवल प्रासंगिक हैं, अपितु विचारणीय और अनुकरणीय भी हैं। अतः आइए इनसे सामयिक मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।

प्रकृति का रौद तांडव कैसे थमेगा

4 mins

अहंवादी नहीं, अध्यात्मवादी बनें!

मैं कितने भी बजे नहाऊँ, यह मेरी मर्जी है। अगर आपको प्रॉब्लम है पापा, तो फिर अब हमें बड़ा घर ले लेना चाहिए, जिसमें सबके बाथरूम अलग-अलग हों। न मैं आपको परेशान करूँगा और न आप मुझसे परेशान होंगे...'

अहंवादी नहीं, अध्यात्मवादी बनें!

1 min

दास ने परोसा सादा भोजन

मुझे सोने के दीप की नहीं, बस तेरे प्रेम दीप के निरन्तर जलते रहने की चिंता है। पगले! सोने के दीप की जगह काश तू अपने सूक्ष्म अहं को मिट्टी कर एक साधारण सा मिट्टी का दीप ही जला देता!

दास ने परोसा सादा भोजन

1 min

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Akhand Gyan - Hindi Magazine Description:

出版社Divya Jyoti Foundation

カテゴリーReligious & Spiritual

言語Hindi

発行頻度Monthly

Akhand Gyan is a monthly spiritual magazine of Divya Jyoti Jagrati Sansthan. With a new rainbow collection every month, it encapsulates more than 60 versatile shades of write-ups, such as: Corporate Spirituality, Personality Bytes, Healing Herbs, Vedic-o-logy, Grooming Relationships, Self-Analysis Zone, Kindergarten, and many more. It provides deep insight into the solutions of problems prevailing in life and society today, with a comprehensive outlook from spiritual, scientific and philosophical perspectives. Akhand Gyan is available in three languages: English, Hindi and Punjabi, all with unique and inspirational contents.

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