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बीज परिसंस्करण में ट्राइकोडर्मा का महत्व
बीज परिसंस्करण में ट्राइकोडर्मा का महत्व : ट्राइकोडर्मा बीज परिसंस्करण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह बीजों की सुरक्षा और पोषण को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
रबी फसलों में खरपतवारों का नियन्त्रण
खरपतवार भोजन उत्पादन में एक जैविक रूकावट वाले कारक के रूप में उपस्थित हैं। उनके कारण फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में कमी व उनके नियन्त्रण करने पर उत्पादन खर्च में वृद्धि होती है।
पारंपरिक खेती के तरीके को छोड़कर हाइड्रोपोनिक खेती को चुनने वाला विपिन यादव
आज का युग ऐसा युग है जहां किसानों के पास उपजाऊ भूमि या जमीन ही नहीं है, फिर भी वे खेती कर सकते हैं और इसलिए भारतीय किसानों को अपनी पहल को वापिस लागू करना पड़ेगा और पारंपरिक खेती को छोड़ना पड़ेगा।
बेहतर प्रोत्साहन नीति में संकट का समाधान
धान की फसल के कटाई सीजन में एक बार फिर पराली जलाना खबरों में रहा। अब एक दशक से अधिक समय से, जब से पंजाब और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली में आग लगाना ज्वलंत मुद्दा बन गया है, नई दिल्ली में कुख्यात वायु प्रदूषण के लिए किसानों को दोषी ठहराये जाने के साथ ही इस आग पर काबू पाने का संघर्ष अभी जारी है।
वैज्ञानिकों ने इजाद की काली मिर्च की नई किस्म
भारत में सबसे अधिक काली मिर्च की खेती केरल में होती है। हालांकि कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में भी किसान काली मिर्च की खेती करते हैं।
2025 के पहले नहीं घटेंगी चावल की वैश्विक कीमतें : वर्ल्ड बैंक
विश्व बैंक ग्लोबल कमोडिटी आउटलुक के मुताबिक अलनीनो का जोखिम जारी रहने की संभावना और प्रमुख चावल उत्पादक देशों द्वारा निर्यात कम किए जाने की वजह से चावल की वैश्विक कीमतों में 2025 के पहले कोई उल्लेखनीय कमी आने की संभावना नहीं है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी सीर मछली की दो और प्रजातियां, जानें क्या है इनकी खासियत
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) के वैज्ञानिकों ने भारतीय जल क्षेत्र में सीर मछली की दो और प्रजातियों की खोज की है। इनमें से एक प्रजाति तो ऐसी है जिसके बारे में पहले कोई वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध नहीं थी।
सब्जियों के नमूनों में भारी धातुओं की मौजूदगी का खुलासा
कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में बेंगलुरु के बाजारों से लिए सब्जियों के नमूनों में भारी धातुओं की मौजूदगी का खुलासा किया है।
कोर्डिसेप्स मशरूम का महत्व और उत्पादन प्रौद्योगिकी
कोर्डिसेप्स एक प्रकार का फफूंद है, जिसमें लगभग 400 प्रजातियाँ हैं। इनमें से कोर्डिसेप्स साइनेंसिस सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है और जो हिमालय के ऊपरी स्थानों (3000 से 5500 मीटर तक की ऊंचाई) जैसे नेपाल, भूटान और तिब्बत, भारत और चीन के सीमांत क्षेत्रों में पाई जाती है। यह एक औषधीय मशरूम है और इसके संभावित स्वास्थ्य लाभ के कारण इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और हाल ही में वैश्विक रूप से प्रचलित हो चुकी है।
आम की उन्नत किस्में
हरियाणा राज्य में आम की काश्त पंचकूला, अम्बाला, करनाल, कुरूक्षेत्र और यमुनानगर जिले में की जा सकती है। आम के बाग लगाने के लिए किसान अच्छी नर्सरी से पौधे लें। जलवायु तथा मिट्टी की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर उचित नई किस्मों की बागवानी से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है।
आंवला फलोत्पादन की नवीनतम तकनीकी
फलों की तोड़ाई बांस की सीढ़ियों के सहारे की जाती है और फलों की छंटाई करके टोकरियों में बन्द करके विपणन के लिए बाजार भेजा जाता है। फल-उपज किस्मों पेड़ों की आयु व देख-रेख निर्भर करती है।
फर्न से बन रहे है कीटनाशक
नए पाए गए प्रोटीन कार्रवाई का एक वैकल्पिक तरीका और मौजूदा कीटनाशक तरीकों के प्रति कीट प्रतिरोध की समस्या का एक अच्छा समाधान प्रदान करते हैं। मक्का, सोयाबीन और कपास की प्रमुख वैश्विक फसलों में कीट नियंत्रण प्रमुख कीटों से सुरक्षा के लिए कीटनाशक प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए बैसिलस थुरिंगिएन्सिस (बीटी) से ट्रांसजेने का उपयोग करते हैं।
गुलाबी सुंडी पर नियंत्रण करने के लिए नई तकनीकें
नागपुर के निदेशक वाईजी प्रसाद ने डीटीई को जानकारी दी है कि वैज्ञानिक गुलाबी सुंडी के खिलाफ प्रभावी नई जीन की खोज का प्रयास कर रहे हैं। प्रसाद का कहना है कि, 'इसके लिए उन्होंने पौधों के 8,000 नमूनों की जांच की है, ताकि ऐसे पौधों का पता लगाया जा सके जो प्राकृतिक रूप से गुलाबी सुंडी के खिलाफ प्रभावी हैं ।'
गन्ना और पराली जलाने से किसानों को हो सकती है किडनी से जुड़ी रहस्यमय बीमारी
वैज्ञानिकों को गन्ना और पराली जलाने से पैदा हुई सिलिका और किडनी से जुड़ी रहस्यमय बीमारी के बीच संबंधों का पता चला है। गौरतलब है कि किसानों और कृषि कार्यों में लगे मजदूरों में गुर्दे से जुड़ी एक रहस्यमयी बीमारी देखी गई है।
किसानों और एनजीओ के सहयोग से आईआईटी ने विकसित की चावल की नई किस्म खड़गपुर
अब किसानों को धान की खेती में नुकसान नहीं झेलना होगा। क्योंकि एक गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर वर्ल्ड सॉलिडेरिटी (सीडब्ल्यूएस) ने आईआईटी खड़गपुर के तकनीकी हस्तक्षेप से स्वदेशी किस्म की चावल विकसित की है।
नीम आधारित जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं
किसान भाई बिना किसी खर्च के नीम आधारित जैविक कीटनाशक अपने घर पर तैयार कर सकते हैं, जो कि एकदम शुद्ध नीम आधारित जैव कीटनाशक होगा
पौष्टिकता से भरपूर सेंजना की खेती किसान के लिए मुनाफे का सौदा
सहजन, ड्रमस्टिक, मुनगा, सहिजन, सेंजना, मुरिंगा, गठीगना, सिंहफली आदि नामों से जाना जाता है। यह किसानों के लिए एक बहुवर्षीय सब्जी देने वाला जाना-पहचाना पौधा है।
शहद के फायदे और उपयोग कैसे करें
शहद का उपयोग आप किसी भी रूप में करें यह आपकी सेहत के लिए उतनी ही फायदेमंद है। बस इसके इस्तेमाल से पहले यह जरुर जांच लें कि उपयोग में लाया जा रहा शहद असली है या मिलावटी, क्योंकि मिलावटी शहद खाने से सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। शहद की क्वालिटी को लेकर लोग हमेशा असमंजस में रहते हैं। आपकी जानकरी के लिए बता दें कि असली शहद काफी गाढ़ा होता है और पानी में डालने पर यह आसानी से घुलता नहीं है बल्कि तली में जाकर जम जाता है जबकि नकली शहद पानी में जल्दी घुल जाता है। हालांकि शहद की शुद्धता जांचने का यह कोई निश्चित पैमाना नहीं है।
मेथी की जैविक खेती किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और उत्पादन
दाने के लिए उगाई गई मेथी की जैविक फसल के पौधों के ऊपर की पत्तियाँ पीली होने पर बीज के लिए कटाई करें। फल पूरी तरह सूखने पर बीज निकाल कर एवं सुखा कर साफ कर लें तथा भण्डारण करना चाहिए।
कस्टम हायरिंग सैंटर आय का बढ़िया स्रोत
मशीनें खरीदनी बहुत आसान हैं, परन्तु इन मशीनों का उचित ढंग से प्रयोग करना भी उतना ही आवश्यक है, क्योंकि मशीनों का अर्थ है ऐसे साधन जो आपके काम को आसान बनाकर आपकी आमदनी में वृद्धि करने में सहायक हों, ऐसा नहीं जो आपकी आमदनी को कम करने लग जायें।
प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी डॉ. विलियम ए. अलब्रेक्ट
डॉ. अल्ब्रेक्ट एक सम्मानित मिट्टी विज्ञानी हैं। उन्होंने यह खोज की कि प्राकृतिक ढंग से कैसे मिट्टी को बढ़िया बनाया जाये। उन्होंने पशुओं के कई रोगों के बारे में भी खोजें कीं, जो उनमें सीधी मिट्टी द्वारा या घटिया क्वालिटी के चारे द्वारा चली जाती है।
कॉर्पोरेट से कंपोस्टर बनने तक का सफर गुर रजनीश
गुर रजनीश ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज की डिग्री हासिल की
कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने आईसीएआर के सहयोग से पर्ल मिलेट की किस्मों पर किया रिसर्च
बढ़ती वैश्विक आबादी और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के बीच कोर्टेवा एग्रीसाइंस, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आपसी सहयोग से एक रिसर्च प्रोडक्ट पूरा किया है। इस रिसर्च ने पर्ल मिलेट जीनोम की रिसिक्वेसिंग कर मील का पत्थर हासिल किया है। इसके जरिये नए मॉलिक्युलर मार्करों के विकास को बढ़ावा मिला है जिससे असाधारण उपज और बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ बाजरा की किस्मों के विकास का रास्ता खुल गया है।
खाली पड़ी जमीनों पर खेती के लिए करें उचित प्रयोग
क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर हर साल औसतन 36 लाख हैक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है। मतलब की यह वो जमीन है, जिस पर खेती की जा सकती थी, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते उस पर खेती नहीं की जा रही। नतीजन धीरे-धीरे इस जमीन की गुणवत्ता में कमी आने लगती है।
पड़ोसी पौधों में रोगों को रोकने के लिए नई खोजें
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए एक ही खेत में कई प्रकार के पौधों को उगाना एक लंबे समय से चली आ रही कृषि पद्धति है, लेकिन इसके अप्रत्याशित परिणाम हो सकते है।
परागणकों में गिरावट से फसलें होंगी प्रभावित
एक नई रिसर्च से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में आते बदलावों से परागण करने वाले कीटों में 61.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी वजह से आम, तरबूज, कॉफी और कोको जैसी उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए भारी खतरा पैदा हो सकता है।
बर्ड फ्लू को रोकने के लिए मुर्गियों में नये जीन की खोज
बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में बर्ड फ्लू बीमारी के फैलने की घटनाएं देखी गई हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मुर्गियों में बर्ड फ्लू के प्रसार को सीमित करने के लिए जीन संपादन तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। बर्ड फ्लू मौजूदा वक्त में एक प्रमुख वैश्विक खतरा है। इस बीमारी का असर जंगली पक्षियों के अलावा कृषि क्षेत्र में देखा गया है। इसका प्रभाव बेहद विनाशकारी साबित हुआ है।
भारत में प्याज और राजनीति
स्थानीय बाजारों में खरीफ की फसल के देरी से आने की चिंता के कारण महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की थोक कीमतें एक सप्ताह के भीतर लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई हैं।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी
सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की।
आलू की जैविक (कार्बनिक) तकनीकी खेती
आलू की जैविक खेती फसल उत्पादन की वह पद्धति है जिसमें एक तरफ रासायनिक उत्पादों जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशी, फफूंदीनाशी, खरपतवारनाशी तथा वृद्धि नियामक आदि के प्रयोग को हतोत्साहित करते हैं तो वही दूसरी तरफ कार्बनिक पदार्थों जैसे जैविक खादें, जैव उर्वरक, हरी खाद, फार्म के उत्पाद, जैविक फफूंदीनाशी एवं कीटनाशी तथा फसल चक्र आदि के प्रयोग पर निर्भर रहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य मृदा, पौधों, पशुओं एवं मनुष्यों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव को कम करने तथा फसल उत्पादकता एवं भूमि उर्वरता को निरन्तर बनाये रखना है।