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भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता...
\"यदि पृथ्वी बीमार है तो यह लगभग निश्चित है तो हमारा जीवन भी बीमार है। यदि हम मनुष्य के अच्छे जीवन व स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो यह बहुत आवश्यक है कि भूमि के स्वास्थ्य को ठीक करना भी बहुत आवश्यक है, मॉडर्न तकनीकों ने भूमि के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाला है। इस पृथ्वी पर जैसा भी जीवन है यद्यपि स्वस्थ है या अस्वस्थ है यह भूमि की उपजाऊ शक्ति/अर्थात भूमि के स्वास्थ्य पर ही निर्भर करता है क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर भोजन पदार्थ धरती में से ही आ रहे हैं। प्रसिद्ध विज्ञानी कारले इस लक्ष्य पर पहुंचा कि कैमिकल फर्टीलाइज़र भूमि के स्वास्थ्य को रासायनिक खादें सुरक्षित नहीं रख सकते। यह रसायन भोजन अथवा भूमि में स्थिर हो जाते हैं सिर्फ कार्बनिक पदार्थ ही भूमि के स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं।\"

बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को अपने बहुप्रतीक्षित बजट भाषण में कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कम से कम नौ नए मिशन या कार्यक्रमों की घोषणा की और भारत को \"विश्व का खाद्य भंडार\" बनाने में किसानों की भूमिका को स्वीकार किया।

आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें?
आंवला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक महत्व का फल वृक्ष है। औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर आंवले के फल प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। इसका वानस्पतिक नाम एम्बलिका ओफीसीनेलिस है।

जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप
नासा के वैज्ञानिकों ने लगभग 20 सालों का अवलोकन करके पाया कि दुनिया भर में जल चक्र तेजी से बदल रहा है। इनमें से अधिकांश खेती जैसी गतिविधियों के कारण हैं, इनका कुछ इलाकों में पारिस्थितिकी तंत्र और जल प्रबंधन पर प्रभाव पड़ सकता है।

कृषि क्षेत्र में बढ़ा रोजगार
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भले ही रोजगार की उजली तस्वीर पेश की गई है, लेकिन इसने सेवा और निर्माण क्षेत्र में रोजगार घटने और कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की बात कर यह साबित कर दिया है। कि सरकार कृषि क्षेत्र के रोजगार को दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित करने में विफल साबित हुई है।

गेहूं फसल की सिंचाई कब और कैसे करें?
भारत में गेहूं की फसल शरद ऋतु में उगाई जाती है जो कि लगभग 130 दिन का फसल चक्र पूरा करती है। असिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसलावधि मध्य अक्टूबर से मार्च माह के बीच होती है और सिंचित क्षेत्रों में यह अवधि मध्य नवम्बर से मार्च से अप्रैल के बीच होती है। भारत में गेहूं की फसल मुख्य रुप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों में होती है।

पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व
शरीर की प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। इसके सही संतुलन से विशेष प्रकार की बिमारियों से बचा जा सकता है।

फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका
एक नए शोध में दिखाया गया है कि पौधों में नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ) के स्तर को कम करने से धान की फसल और अरेबिडोप्सिस में नाइट्रोजन अवशोषण और नाइट्रोजन के सही उपयोग या नाइट्रोजन यूज एफिशिएंसी (एनयूई) में बहुत ज्यादा सुधार हो सकता है।
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जितना प्राकृतिक खेती पर जोर, उतना बजट नहीं ..
पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की खूब बातें हो रही हैं। केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती पर काफी जोर दे रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के बजट के आंकड़े देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के मामले में खास उत्साहजनक नजर नहीं आते।
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वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती
परिचय : भिंडी सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है, जिसे लोग लेडीज़ फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। भिंडी का वैज्ञानिक नाम एबेलमोलकस एस्कुलेंटस (Abelmoschus esculentus L.), कुल / परिवार मालवेसी तथा उत्पत्ति स्थान दक्षिणी अफ्रीका अथवा एशिया माना जाता हैं।
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बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट प्रबंधन
हाल के वर्षों में, कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के कारण कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। जिसमें फसल की कम पैदावार, पानी की कमी और कीटों और बीमारियों के खतरों में वृद्धि शामिल है।
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ठोस नीति और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार से 2030 तक कृषि निर्यात में होगा सुधार
अगर सही नीतिगत कदम उठाए जाएं और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए तो वर्ष 2030 तक भारत का कृषि निर्यात 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
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ग्रीन हाउस में फूलों की खेती
हमारे देश की जलवायु ऐसी है जहां सभी प्रकार के फूल उगाये जाते हैं। किन्तु वर्तमान समय की विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नियंत्रित वातावरण में फूल उपजाए जाते हैं, जो सामान्यतः खुले वातावरण में ठीक से नहीं उपजाए जा सकते हैं।
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एफपीओ: भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान
भारत के कृषि परिदृश्य में छोटे और सीमांत किसान अधिक ( 86 प्रतिशत) हैं। इनमें से अनेक किसान सीमित संसाधन और छोटी जोत के कारण मोलभाव करने की स्थिति में नहीं होते।
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खाद्य पदार्थों में मिलावट पहचान एवं बचाव
हम सब घरेलू खान-पान वाली वस्तुएँ आमतौर पर बाजार से खरीद कर ही इस्तेमाल करते हैं। कुछ मुनाफाखोर इनमें नकली एवं मिलावटी वस्तुएं मिलाकर बिक्री बढ़ाने के लिए खपतकारों को बेच देते हैं। इन नकली एवं मिलावटी वस्तुओं से सेहत खराब होती है और शरीर का भी बहुत नुक्सान होता है। हमें बाजार से वस्तुएं खरीदते समय सचेत रहना चाहिए। आओ हम असली नकली एवं मिलावटी वस्तुओं की पहचान करने के बारे में जानकारी सांझा करें।
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हरी खाद सवारें मिट्टी के गुण
फसलों की अच्छी पैदावार बनाये रखने के लिए मिट्टी के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक गुणों का बढ़िया अवस्था में होना बहुत जरूरी है।

जलवायु संकट का सामना करने में नई तकनीकों की जरुरत
कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु संकट का सामना करने के लिए नई तकनीक, तौर-तरीके और सहकारी संस्थाएं मददगार साबित हो सकती हैं।
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हरे चारे के अभाव में साइलेज से पशुधन की पोषण सुरक्षा
देश में पशुधन के पोषण हेतु हरे और पौष्टिक चारे की बहुत कमी है। निरंतर घटती जोत के कारण मात्र 4 प्रतिशत कृषि भूमि पर हरे चारे का उत्पादन संभव हो पा रहा है।
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बायोचार कीटनाशकों का मिट्टी में कम कर सकता है प्रभाव
दुनिया के कई हिस्सों में डीडीटी के कारण मिट्टी का प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है। शोधकर्ताओं ने इस जहर से होने वाले पारिस्थितिक खतरों को प्रबंधित करने के लिए इसे बायोचार के साथ मिलाकर एक नई विधि तैयार की है।
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कीट नियंत्रण में फेरोमेन ट्रेप का उपयोग
फेरोमेन एक प्रकार का कार्बनिक पदार्थ है जो वैज्ञानिकों द्वारा संश्लेषित करके इसे बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जा सकता है। जो उस जाति के नर कीट को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
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कृषि रसायन : दवा या जहर
प्राकृतिक, कृषि एवं वातावरण की स्थिरता के लिए हमें कृषि में जैविक प्रबंधन को बढ़ावा देना होगा। जैविक खेती के महत्वपूर्ण स्तम्भ जैसे जैविक खाद, केंचुआ खाद, जीवाणु खाद, बायोगैस स्लरी का उपयोग, कीटों व बीमारियों का जैव नियंत्रण, फसल चक्र प्रबंधन आदि को अपनाना ही होगा।
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कृषि की तरक्की के लिए नए संस्थानों पर दारोमदार
कृषि क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान करने के साथ राष्ट्रीय कार्यबल के 45 प्रतिशत को रोजगार भी प्रदान करता है।
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फल एवं सब्जियों का कटाई उपरान्त रखरखाव
देश में फलों और सब्जियों के उचित रखरखाव के न होने के कारण फसल उत्पादन का 30-40 प्रतिशत भाग नष्ट हो जाता है।
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जीएम फसलों के लिए स्पष्ट राष्ट्रीय नीति की जरूरत
ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट इन एग्रीकल्चरल साइसेंस (तास) के चेयरमैन और आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर एस परोदा ने कहा है कि देश में जैनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) टैक्नॉलोजी पर एक स्पष्ट राष्ट्रीय नीति की जरुरत है।
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खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि नीति पर आम सहमति जरूरी
पंजाब के किसान एक बार फिर आंदोलन पर उतर आए हैं। इस बार वे इसलिए परेशान हैं क्योंकि वे अपनी धान की उपज एपीएमसी मंडियों में सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच नहीं पा रहे हैं। राज्य में चावल के लिए भंडारण क्षमता की कमी को इसका कारण बताया जा रहा है।
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सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह
राजू सिंह, जो कि उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के हरपुर गांव के रहने वाले हैं, आज मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में एक आदर्श बन चुके हैं। उनका ब्रांड \"हाई ग्रोथ हनी\" अब शहद के उत्पादन और बिक्री में एक नाम बन चुका है।
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यूएन रिपोर्ट के अनुसार भारत की कृषि विकास दर रहेगी मजबूत
ऐसे समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार अनिश्चितताओं का सामना कर रही है। भारत का कृषि क्षेत्र इसकी मजबूत आर्थिक वृद्धि का आधार बना हुआ है।
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बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन
बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना।
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सूचना संचार एवं कृषि विकास
यदि भारत को खुशहाल बनाना है, तो गांवों को भी विकसित करना होगा। आज सरकार ग्रामीण विकास, कृषि एवं भूमिहीन किसानों के कल्याण पर ज्यादा जोर दे रही है। इसलिये यह क्षेत्र बेहतरी की दिशा में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता वर्तमान सरकार की पहचान बन गए हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये परम्परागत तरीकों से हटकर 'आउट-ऑफ-बॉक्स' पहल की गई है।
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जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान
मशरूम की दुनिया में 'माइसीलियम' एक ऐसा तत्व है जो कई खाद्य, पोषण और औद्योगिक क्रांतियों का आधार बन रहा है। यह मशरूम के जीवन चक्र का वह हिस्सा है जो अदृश्य होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।