उत्तरप्रदेश
रबी मौसम में राजमा की खेती का प्रचलन मैदानी क्षेत्रों में विगत कुछ वर्षों से हुआ है। राजमा की बुवाई बाजरा तथा मक्का या धान के बाद कर सकते हैं। यह एक अच्छी दलहनी फसल है जिसे दाल, सब्जी या छोले के रूप में प्रयोग करते हैं इसमें प्रोटीन की मात्रा 24 प्रतिशत 1.6 प्रतिशत वसा तथा 69.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रति 100 कि०ग्रा० खाने योग्य भाग में 381 मि०ग्रा० कैल्शियम 425 मि0ग्रा0 फास्फोरस तथा 12.4 मि०ग्रा० लोहा पाया जाता है। इसकी खेती उ०प्र० के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में भी सफलतापूर्वक की जाती है।
भूमि : अच्छी जल निकास वाली बलुई दोमट एवं दोमट भूमि उपयुक्त होती है। भूमि का पी0एच0 मान 6.5-7.5 हो तो अच्छी मानी जाती है। लवणीय/सोडिक भूमि उचित नहीं होती है।
खेत की तैयारी : प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करने पर खेत तैयार हो जाता है। बुवाई के समय भूमि में पर्याप्त नमी अति आवश्यक है।
प्रजातियाँ :
(अ) दाल वाली प्रजातियाँ
1. जी0डी0आर0 - 14 (उदय) : यह प्रजाति 125-130 दिन में पककर तैयार हो जाती है में तथा प्रति हैक्टेयर 30-35 कुन्तल उपज प्राप्त होती है। इसके दाने का रंग लाल चित्तीदार होता है।
2. मालवीय - 15 : यह प्रजाति 115-120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके दाने सफेद एवं पैदावार 25-30 कु./है. होती है।
3. मालवीय - 137: यह प्रजाति 110-115 दिन में तैयार होती है तथा उपज 25-30 कु./है. एवं दाने का रंग लाल होता है।
この記事は Modern Kheti - Hindi の 1st September 2022 版に掲載されています。
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।