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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।
जैविक खेती की विधियां और लाभ
जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिये फसल चक्र हरी खाद कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् 1990 के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार आज तक काफी बढ़ता रहा है।
स्वस्थ मानव जीवन के लिए आवश्यक है स्वस्थ मिट्टी
लगातार खेती के कारण ऊपरी मिट्टी के कटाव की दर मिट्टी के निर्माण की दर से ज्यादा हो गई है। इसके अलावा, देश गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है, लगभग 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अति-शोषित के रुप में वर्गीकृत किया गया है।
तिल की फसल को प्रभावित करने वाले बैक्टीरिया की पहचान
भारतीय वैज्ञानिकों ने तिल की फसल को प्रभावित करने वाले एक नए बैक्टीरिया की पहचान की है। आशंका है कि यह बैक्टीरिया पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में तिल के फूलों को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार है।
कृषि लागतें बढ़ रहीं, परन्तु उत्पादन नहीं...
यदि सिर्फ खेती-किसानी से होने वाली आय को गिना जाए तो एक किसान हर रोज महज 27 रुपए ही अर्जित कर पा रहा है। इतनी कम आय में खेतों में काम करना और ठीक-ठाक तरीके से अपने जीवन को चलाए रखना न सिर्फ मुश्किल है बल्कि नामुमकिन है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धी प्राप्त विज्ञानी डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा
डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा एक बहुआयामी शकसीयत के मालिक थे। डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा का जन्म एक जाट किसान परिवार के घर 2 फरवरी 1909 को जीरे में हुआ। उनमें बचपन से ही पढ़ने-लिखने व खेलने की दिलचस्पी थी।
हल्दी में पाई जा रही सीसे की मात्रा-चिंताजनक
भारत में कई सदियों से हल्दी का उपयोग होता आया है। यह एक ऐसा मसाला है जो करीब-करीब सभी के घरों में उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं अपने अनोखे गुणों के चलते यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद समझी जाती है। लेकिन एक नए अध्ययन में भारत में हल्दी को लेकर जो खुलासे किए गए हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक भारत के कुछ हिस्सों से लिए गए हल्दी के नमूनों में सीसे (लेड) की मात्रा तय मानकों से 200 गुणा अधिक थी।
पौधों की मृदा जनित बीमारियों को इन प्राकृतिक उपायों से करें प्रबंधित!
दमनकारी मिट्टी कई तंत्रों के माध्यम से काम करती है, जिसमें अक्सर मिट्टी के सूक्ष्म जीवों, कार्बनिक पदार्थों और मिट्टी के गुणों का जटिल परस्पर क्रिया शामिल होती है। सूक्ष्म जीवों की प्रतिस्पर्धा और विरोध लाभकारी सूक्ष्म जीव, जैसे कि कुछ बैक्टीरिया और कवक, पोषक तत्वों और स्थान के लिए रोगजनकों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
फसल चक्र अपनायें भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ायें
बैंड प्लाटिंग तकनीक से गन्ने की बिजाई के साथ गेहूं, धनिया, चना, मसर, सरसों, मूंग, प्याज व लहसुन जैसी फसलें लगाने से खेत को बार-बार तैयार करने की जरुरत नहीं पड़ती व निराई-गुड़ाई होते रहने से फसल में खरपतवार से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है।
एप्पल बेर की हाई डेंसिटी फार्मिंग से सफलता प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान - अकबर अली अहमद
असम के प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद ने एप्पल बेर की हाई डेंसिटी फार्मिंग से नई ऊंचाईयों को छुआ है।
कृषि आपूर्ति श्रृंखला में ब्लॉकचेन का महत्व
ब्लॉकचेन, किसानों को खेत से उपभोक्ता तक माल की आवाजाही को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है। ब्लॉकचेन तकनीक, कृषि व्यवसाय के भीतर यातायात और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को अनुकूलित करने, कृषि उत्पादों के परिवहन, भंडारण और वितरण के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बढ़ रहे तापमान के कारण घट रही है जमीन की कार्बन सोखने की क्षमता
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद से किए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि साल 2023 की भयंकर लू या हीटवेव की वजह से बड़े पैमाने पर जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुई और भयंकर सूखा पड़ा, जिसने जमीन की वायुमंडलीय कार्बन को सोखने की क्षमता को कम कर दिया।
फसल उत्पादन के लिए पानी की खपत कम करने की आवश्यकता
ट्वेन्टे विश्वविद्यालय (यूटी) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में दुनिया की मुख्य फसलों को उगाने के लिए लोगों के द्वारा खपत किए जाने वाले पानी की मात्रा में ऐतिहासिक बदलावों पर प्रकाश डाला गया है।
कृषि उत्पादों में बढ़ रही महंगाई क्यों नहीं रुक रही?
क्या 2021 में चना, गेहूँ, धान, मूंग, कच्चा पाम तेल व सरसों और सोयाबीन जैसे सात कृषि उत्पादों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए वायदा कारोबार (फ्यूचर डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग) को निलंबन किया जाना सरकार का एक बेहतर निर्णय था?
फूड सिक्योरिटी के लिए खादों की कमी चिंता का विषय...
गेहूं की बुआई समेत रबी फसलों का सीजन शुरू होते ही देशभर में डीएपी खाद की कमी की गूंज सुनाई दे रही है।
पराली जलाने से जलते हैं पौष्टिक तत्व...
तीन दिवसीय वैश्विक मृदा सम्मेलन 2024 के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने कहा है कि जलाए गए प्रत्येक टन पराली से मिट्टी में कम से कम 12-13 किलोग्राम फास्फोरस, 35 किलोग्राम पोटेशियम और 20 किलोग्राम नाइट्रोजन की हानि होती है।
किसान की आय कैसे बढ़े?
राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं हरियाणा में यह क्रमशः 41.6%, 27.7% एवं 12.3% रहा। चना फसल की बात की जाए तो मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में एक भी दिन बाजार भाव एमएसपी से ऊपर नहीं गया। खाद्य सब्सिडी 2013-14 2019-20 में रु. 92000 करोड़ से रु. 184220 करोड़ रुपये हो गयी लगभग दोगुनी हो चुकी है लेकिन इस दौरान गेहूं का एमएसपी रु. 1350 से रु. 1840 ही हुआ। अगर लागत दोगुनी नहीं हुई तो सब्सिडी दोगुनी कैसे हो गई?
पादप प्रजनन महत्व, तरीके और उद्देश्य
भारत जनसंख्या के हिसाब से विश्वभर में प्रथम स्थान पर है। हमारे देश की जनसंख्या खतरनाक दर से बढ़ रही है।
सब्जियों की स्वस्थ पौध तैयार करने की तकनीकी
नर्सरी एक जगह है, जहां अंकुर, पौधे, पेड़, झाड़ियां और अन्य पौधों की सामग्री को तब तक उगाया और बनाए रखा जाता है जब तक वे स्थायी स्थान पर रोपण के लिए तैयार नहीं हो जाते हैं।
मसाला तथा औषधीय फसल मेथी
मसाले हमारे खाद्य पदार्थों को स्वादिष्टता तो प्रदान करते ही हैं, साथ ही हम इससे विदेषी मुद्रा भी अर्जित करते हैं। मेथी मसाले की एक प्रमुख फसल है। इसकी हरी पत्तियों में प्रोटीन विटामिन सी तथा खनिज तत्व पाये जाते हैं। बीज मसाले तथा दवाई के रुप में उपयोगी है। भारत में इसकी खेती व्यवसायिक स्तर पर राजस्थान, मध्यप्रदेष, गुजरात, उत्तरप्रदेष तथा पंजाब राज्यों में की जाती है।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) 7 सितंबर 2005 को लागू हुआ था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों को वित्तीय वर्ष में बिना कुशलता हस्त कार्य होने वाले कार्यों के लिए कम से कम 100 दिनों का निश्चित रोजगार उपलब्ध करवाना है ताकि कमजोर श्रेणियों के विकास के साथ-साथ गांवों का भी विकास किया जा सके।