पादप कार्यिकी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता, कमी के लक्षण एवं निवारण
Modern Kheti - Hindi|15th August 2023
पौधों और मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा बहुत ही कम होती है, लेकिन इनका महत्व पौधे के विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों से कम नहीं होता है। यदि मृदा में को सूक्ष्म पोषक तत्व न मिले तो वह फसल बड़ी मात्रा में दिये जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश का पूरा सदोपयोग नहीं कर सकते हैं।
शिव पूजन यादव, डी. पी. सिंह एवं विजय चंद्रा
पादप कार्यिकी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता, कमी के लक्षण एवं निवारण

पौधे को अपना जीवनचक्र पूर्ण करने के लिए लगभग 60 या इससे भी अधिक तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें से 17 ऐसे तत्व हैं, जिन्हें आर्नन और स्टाउट ने आवश्यक पोषक तत्व की श्रेणी में रखा है। इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन पानी तथा हवा से पौधे श्वतः प्राप्त कर लेते हैं। अन्य 14 पोषक तत्वों की आपूर्ति भूमि, उर्वरक तथा खादों के माध्यम से होती है। आवश्यक पोषक तत्वों को, पौधों के पोषण की पूर्ति के लिये आवश्यक मात्रा के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में जैसेमुख्य, द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों में बांटा गया है। पौधों के मुख्य पोषक तत्व में वे तत्व आते हैं जिनको पौधे अधिक मात्रा में ग्रहण करते हैं जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश द्वितीयक पोषक तत्व जैसे- सल्फर, मैग्नीशियम तथा कैल्शियम जिनकों गौंड़ मात्रा में पौधे ग्रहण करते हैं और ये सभी मुख्य पोषक तत्व की आपूर्ति के साथ ही खाद या उर्वरक से हो जाती है। सूक्ष्म पोषक तत्व में वे तत्व आते है जिनको पौधें सूक्ष्म मात्रा में अर्थात 100 पी.पी.एम. या उससे भी कम मात्रा में ग्रहण करते हैं, इनमें क्लोरिन, आयरन, कापर, मैगनीज, बोरान, जिंक, मालिब्डेनम एवं निकिल आते है। पौधों के कुल शुष्क पदार्थ का लगभग 96 प्रतिशत भाग कार्बन, आक्सीजन व हाईड्रोजन से मिलकर बनता है। शेष 6 प्रतिशत अन्य सभी तत्वों से प्राप्त होते हैं। हालांकि पौधों और मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा बहुत ही कम होती है, लेकिन इनका महत्व पौधे के विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों से कम नहीं होता है। यदि मृदा में को सूक्ष्म पोषक तत्व न मिले तो वह फसल बड़ी मात्रा में दिये जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश का पूरा सदोपयोग नहीं कर सकते हैं। इसीलिए अच्छी फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों का समुचित प्रबन्धन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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