अदरक फसल के रोग
प्रकंद गलन रोग: यह एक जटिल समस्या है, जो फफूंद एवं जीवाणु द्वारा होता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों का शीर्ष भाग पीला हो जाता है, यह पीलापन पत्तियों की सतह से होता हुआ आधार की तरफ बढ़ता है। रोगी पत्तियाँ झुककर नीचे की ओर लटक जाती हैं। भूमि की सतह के पास तने का भाग जलीय तथा मुलायम होकर गलने लगता है। रोगी प्रकंद सड़ने लगते हैं और अंत में पौधा मर जाता है। इस रोग के लक्षण प्राय: अगस्त सितम्बर महीने में दिखाई पड़ते हैं। पीत रोग: अदरक फसल में यह रोग फफूंद से फैलता है। इस रोग के कारण पौधों की सबसे नीचे की पत्तियाँ पीली हो जाती हैं। यह पीलापन पत्तियों के किनारे से शुरू होता है तथा धीरे-धीरे पूरी पत्ती पीली हो जाती है। पौधे सूखकर मर जाते जाते हैं, लेकिन जमीन पर नहीं गिरते हैं। प्रकंद की बढ़वार रूक जाती है और नये प्रकंद काले पड़कर सिकुड़ जाते हैं।
जीवन म्लानि रोग: यह रोग जीवाणु द्वारा फैलता है। इस रोग का मुख्य लक्षण पत्तियों का पीला होना, ढीला पड़ना तथा सूख जाना है। रोग की तीव्रता में जमीन की सतह के पास तने का भाग जलीय हो जाता है और उखाड़ने पर आसानी से प्रकंद से अलग हो जाता है। इस रोग की सबसे बड़ी पहचान है, यदि रोगी पौधे के तने या प्रकंद को काटकर पानी में कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाए तो उसमें से सफेद रंग का लसलसा पदार्थ निकलता है। यह रोग जहाँ पर पानी रूकता है वहाँ अधिक लगता है।
अदरक फसल के कीट
तना एवं जड़ छेदक: व्यस्क कीट चमकीले पीले रंग के पतंगे होते हैं। इनके पंखों पर छोटे-छोटे काले धब्बे होते हैं। नवजात पत्तियों एवं डंटलों के बाह्य तनों में छेद करके खाते हैं जिसके कारण पौधे मुरझा कर सूख जाते हैं। ये अपने पूरे जीवन काल में पत्तियों और अपने मलमूत्र से सने हुए धागों के नीचे छिपे रहते हैं तथा तनों या पत्तियों में पतले रेशमी कोकून के अन्दर प्यूपा बनाते हैं।
この記事は Modern Kheti - Hindi の 15th February 2024 版に掲載されています。
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।