परम्परागत रूप से धान की खेती खेत को कद्दू करके उसमें धान की पौध की हाथों से रोपाई करके की जाती है। इस विधि में भूमि की सतह पर पानी को खड़ा रखना पड़ता है जिसके कारण अत्याधिक वाष्पीकरण होता है और धान की खेती में पानी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। एक अनुमान के अनुसार परंपरागत विधि से एक किलोग्राम धान उगाने के लिए लगभग 3000 लीटर सिंचाई जल की आवश्यकता होती है जिसके कारण यहाँ का भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसके अलावा धान की रोपाई करने में वांछित बहुत अधिक श्रमिकों की घटती हुई उपलब्धता, मृदा का गिरता हुआ स्वास्थ्य तथा पर्यावरण में हुए बदलावों के कारण इन इलाकों में धान की खेती करना बहुत ही कठिन हो गया है। इन समस्याओं के निवारण के लिए धान उत्पादन की एक नई तकनीक का आविष्कार किया गया है- "धान की सीधी बिजाई (डीएसआर)"। इस विधि में धान के बीज को एक ड्रिल रुपी मशीन (झुकी हुई प्लेट वाली बहु फसलीय बिजाई मशीन) में डालकर लगभग गेहूं की तरह उसकी बिजाई की जाती है। इस विधि में खेत को कद्दू करने की आवश्यकता नहीं होती है। केवल सूखे/वत्तर में ही खेत की तैयारी की जाती है। धान की सीधी बिजाई में सिंचाई जल की आवश्यकता परम्परागत रूप से कद्दू करके उगाने वाली विधि की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम होती है। इसके अलावा पौध रोपाई की आवश्यकता न होने के कारण श्रमिकों की कमी की समस्या का भी निवारण होता है। धान की सीधी बिजाई से मृदा का स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण भी होता है। शोध कार्यों के अनुसार धान की सीधी बिजाई में पैसे की बचत व शुद्ध लाभ भी ज्यादा होता है। इस लेख में धान की सीधी बिजाई के अत्याधिक लाभ बताने की अपेक्षा एक आर्थिक विश्लेषण के द्वारा इस बात पर बल दिया जा रहा है कि धान की सीधी बिजाई का आर्थिक प्रबंधन कितना भी बुरा क्यों ना हो फिर भी इस विधि को अपनाने में किसान का आर्थिक रूप से नुकसान नहीं होता। क्योंकि भूमि, पर्यावरण और जल संरक्षण के अतिरिक्त किसान के लिए आर्थिक लाभ या हानि भी महत्वपूर्ण होती है। यहाँ पर बुरा आर्थिक प्रबंधन से अर्थ यह है कि खर्च की चिंता किये बिना (चाहे धन कितना भी खर्च हो जाए) डी एस आर विधि के किर्यान्वयन में कोई कमी न रह जाए और अधिक से अधिक उपज प्राप्त की जा सके।
この記事は Modern Kheti - Hindi の 15th April 2024 版に掲載されています。
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।