
भारत में, अधिकांश राज्यों ने उत्कृष्ट परिणामों के साथ रेशम उत्पादन को एक महत्वपूर्ण कृषि-उद्योग के रूप में अपनाया है। शहतूत से काफी औषधीय जैसे कि रक्त टॉनिक, चक्कर आना, कब्ज, टिनिटस के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे फल जूस बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है जो कि कोरिया, जापान और चीन में काफी प्रसिद्ध है। यह एक सदाबहार वृक्ष होता है जिसकी औसतन ऊंचाई 40-60 फीट होती है। इसके फूलों के साथ-साथ ही जामुनी-काले रंग के फल होते है। भारत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटका, आंध्रा प्रदेश और तामिलनाडू मुख्य शहतूत उगने के मुख्य राज्य हैं।
खेती के अंतर्गत प्रजातियां और किस्में
मोरस वंश की लगभग 68 प्रजातियां हैं। इनमें से अधिकांश प्रजातियां एशिया में पाई जाती हैं, विशेषकर चीन (24 प्रजातियां) और जापान (19) में। महाद्वीपीय अमेरिका अपनी मोरस प्रजाति में भी समृद्ध है। अफ्रीका, यूरोप और निकट पूर्व में जीनस का प्रतिनिधित्व बहुत क है और यह ऑस्ट्रेलिया में मौजूद नहीं है।
भारत में मोरस की कई प्रजातियां हैं, जिनमें मोरस अल्बा, एम. इंडिका शामिल हैं। एम. सेराटा और एम. लेविगाटा हिमालय में जंगली रूप से उगते हैं। एम. मल्टीकौलिस, एम. नाइग्रा, एम. साइनेंसिस और एम. फिलिपिनेंसिस से संबंधित कई किस्में पेश की गई हैं। शहतूत की अधिकांश भारतीय किस्में एम. इंडिका से संबंधित हैं।
この記事は Modern Kheti - Hindi の 15th June 2024 版に掲載されています。
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कृषि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाली 'मिलेट क्वीन' - रायमती घुरिया
ओडिशा के कोरापुट जिले की 36 वर्षीय आदिवासी महिला किसान रायमती घुरिया को कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी करने के लिए अधिक उत्पादन जरुरी है, प्रत्येक फसल के बाद भूमि में पोषक तत्वों की जो कमी आती है, उनकी पूर्ति करना आवश्यक है, वरना भूमि की उपजाऊ शक्ति व पैदावार में कमी आयेगी।

फलों के पेड़ लगाने की करें तैयारी
कंपनियों के झूठे प्रचार ने पंजाबियों को दूध, लस्सी और घी से दूर कर दिया है। रात को सोने से पहले एक गिलास दूध पीना पुरानी बात हो गई है।

गेहूं के प्रमुख कीटों की रोकथाम कैसे करें ?
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्य फसल है।

"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।

नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति बढ़ रहे खदशे
किसानों एवं सरकार को हर वर्ष पारंपरिक दानेदार यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा वर्ष हो जब यूरिया की निर्विघ्न सप्लाई हुई हो।

घुइया या अरवी की खेती में कीट एवं रोगों का प्रबंधन
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पौधों के प्रजनन में परागण की भूमिका
परागण किसी भी पुष्पीय पौधे के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे निषेचन और बीज निर्माण की प्रक्रिया पूरी होती है।

केरल कृषि विश्वविद्यालय ने बीज रहित तरबूज किया विकसित
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कृषि विविधीकरण में सूरजमुखी सहायक
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