जलवायु संकट के कारण उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी तक घट सकती है धान की पैदावार
Modern Kheti - Hindi|1st August 2024
जलवायु परिवर्तन भारतीय किसानों के लिए एक कड़वी सच्चाई बन चुका है। न चाहते हुए भी देश में किसानों को इस अनजाने खतरे से जूझना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के किसान भी इन बदलावों से सुरक्षित नहीं हैं।
जलवायु संकट के कारण उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी तक घट सकती है धान की पैदावार

उत्तर प्रदेश पर मंडराते इस खतरे पर प्रकाश डालते हुए एक हालिया रिसर्च में खुलासा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से भविष्य में वहां धान की पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है। उत्तर प्रदेश में जलवायु परिवर्तन की वजह से धान की पैदावार पर कितना असर पड़ेगा, इस पर अध्ययन में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश के जिन क्षेत्रों में धान सिंचाई पर निर्भर है, वहां इसकी पैदावार में 20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

हालांकि दूसरी तरफ जहां फसल काफी हद तक बारिश पर निर्भर है, वहां पैदावार बढ़ सकती है, लेकिन कुल मिलाकर भविष्य में उत्तर प्रदेश में हो रही धान की उपज में गिरावट आने की आशंका है।

गौरतलब है कि 23.7 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा कृषि प्रधान राज्य है, जो सिंधु-गंगा के मैदानों में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 2.41 करोड़ हैक्टेयर है, जिसमें से 1.68 करोड़ हैक्टेयर भूमि पर कृषि की जाती है, जो इसके कुल क्षेत्रफल का करीब 70 प्रतिशत है।

साल में एक से ज्यादा फसलें उगाई में जाती हैं, जिनमें धान, गेहूं, मक्का, गन्ना, चना और अरहर प्रमुख हैं। अधिकांश लोग अपनी जीविका के लिए कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं। इनमें एक बड़ी संख्या छोटे और सीमान्त किसानों की है, जिनकी आय बेहद कम है। ऊपर से खराब बुनियादी ढांचे और कृषि पर भारी निर्भरता के कारण यहां के किसान जलवायु परिवर्तन के प्रति बेहद संवेदनशील हैं।

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