बाजरा में पोषक तत्व प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?
Modern Kheti - Hindi|15th August 2024
आमतौर पर बाजरा की खेती कम उर्वरता की भूमियों में खाद और उर्वरकों की थोड़ी मात्रा में प्रयोग करके उगाई जाती है, परन्तु अच्छी पैदावार प्राप्त करने के उद्देश्य से समुचित मात्रा में सन्तुलित उर्वरकों का प्रयोग आवश्यक होता है। उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाना फायदेमंद है।
बाजरा में पोषक तत्व प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

अखिल भारतीय समन्वित मोटे खाद्यान्न विकास परियोजना के अन्तर्गत किए गए प्रयोगों के परिणाम के आधार पर बाजरा की नई किस्में विशेषकर संकर किस्मों में खाद की अत्याधिक आवश्यकता होती है।

बाजरा में पोषक तत्व प्रबंधन

1. अधिक कमजोर मिट्टी में प्रति हैक्टेयर नाइट्रोजन की 137 किलोग्राम मात्रा का प्रयोग लाभकारी पाया गया है।

2. असिंचित क्षेत्रों में जीवांशयुक्त खादों के प्रयोग से न केवल पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि होती है, बल्कि मिट्टी की जलधारण-क्षमता का भी विकास होता है।

3. कम उर्वरता वाली मिट्टी में 10 से 12 टन अच्छी सड़ी गोबर की खाद को फसल की बुआई के लगभग 20 दिन पूर्व खेत में मिला देना चाहिए।

4. बाजरा में चूने के अभाव वाली भूमियों में चूने का प्रयोग लाभदायक होता है।

5. जीवांशमय खादों का प्रयोग करने पर इसमें उपलब्ध पोषक तत्व के अनुसार उर्वरकों की मात्रा कम कर दी जाती है।

6. नाइट्रोजन प्रदान करने वाली खादों की सम्पूर्ण मात्रा को दो बार में फसल की बुआई के समय और शेष दोजी निकलते समय प्रदान की जानी चाहिए।

7. बाजरा में फास्फोरस और पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा का प्रयोग नाइट्रोजन की आधी मात्रा के साथ मिलाकर बुआई के समय कूड़ों में करना लाभदायक पाया गया है।

8. बाजरे के बीज के अत्यन्त छोटा होने एवं उससे निकलने वाले प्रांकुर के अत्यन्त कोमल होने के कारण खाद का इस प्रकार प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे बीज का खाद के साथ संपर्क न होने पाए, अन्यथा अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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