बीज उद्योग में आपस में गला काट प्रतियोगिता (Through-cut Competition) के कारण कोई बीज उत्पादक किसानों में अपनी शाख (Credit) को दाँव पर नहीं लगाएगा। अतः बीज उत्पादन करते हुए बीज उद्यमी भारत सरकार द्वारा पारित भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानकों (IMSCS) की पालना करता है, अपने अनुसंधान की पहचान के लिए निदशोलय उद्योग एवं विज्ञान अनुसंधान (DISR) से मान्यता लेता है। कृषि विभाग से बीज विक्रय हेतु लाइसैंस लेता है कहने का अर्थ है कि सभी सावधानियों, नियम, कानूनों की पालना कर बीज उत्पादन एवं प्रमाणीकरण कर बीज कृषकों को उपलब्ध करवाता है परन्तु बीज उत्पादन में कुछ ऐसे कारक हैं जो बीज उत्पादकों के बस से परे है। इसके अलावा बीज उत्पादक अपने भरसक प्रयासों से उत्तम किस्म का बीज, उच्च गुणवत्ता अंकुरण, भौतिक शुद्धता, अनुवांशिक शुद्धता के साथ उपलब्ध करवाता है और फिर कृषक की जिम्मेदारी बनी है कि वह नवीनतम तकनीकी का उपयोग कर राज्य/राष्ट्र में उत्पादन स्तम्भ बनाए परन्तु कृषक नई तकनीकीयों को शीघ्र न अपना पाने के कारण कृषक उत्पादक-गठबन्धन दरक जाता है और वह बीज की गुणवत्ता के विरूद्ध विवाद का कारण बनता है।
वर्तमान में शिक्षा एवं श्रव्य दृशय (Audio Visual) साधनों के कारण कृषक वर्ग में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आई है और इसलिए दिन प्रतिदिन बीज की निम्न गुणवत्ता के लिये विवाद उपजते हैं, और ऐसे विवादों की संख्या बढ़ रही है।
मानव प्रवृति है कि उसे निःशुल्क ज्ञान दिया जाए तो वह उसका महत्व नहीं समझता। बीज उद्योग में भी हू-ब-हू यही हो रहा है। मैं समय-समय पर बीज उद्यमियों को बीज कानूनों की विधाओं पर लेखों द्वारा सचेत करता हूँ। बीज कानून की 4 पुस्तकें सम्पादित करवाई और बांटी परन्तु उनसे अपना बीज कानून ज्ञान नहीं बढ़ाया। कृषक विभाग द्वारा आपत्ति उठाने और उसके प्रति दण्ड भरने पर ही ज्ञान प्राप्ति के प्रति जागरूकता आती है।
बीज कानूनों का ज्ञान बीज निरीक्षक, बीज लाइसेंसिंग अधिकारी और बीज उत्पादकों, विक्रेताओं के मध्य उपजे विवादों के निराकरण की चाबी है। बीज कानूनों का अध्ययन एक समस्या नहीं बल्कि एक सुअवसर है जिसके द्वारा हम जान सकते हैं हमारा कानून ज्ञान कितना समृद्ध है।
この記事は Modern Kheti - Hindi の 1st October 2024 版に掲載されています。
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।