इलेक्ट्रिक कारें कैसे पैदा करेंगी डीएपी का संकट
Modern Kheti - Hindi|15th October 2024
फसलों की बुवाई के समय उपयोग होने वाले सबसे अहम उर्वरक, डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड का एक नया दावेदार खड़ा हो गया है। इससे डीएपी के लिए लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर भारत जैसे देशों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस नये दावेदार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार सब्सिडी भी दे रही है। वह दावेदार है इलेक्ट्रिक वाहन यानी ईवी।
इलेक्ट्रिक कारें कैसे पैदा करेंगी डीएपी का संकट

दुनिया की बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला से लेकर चीन की बड़ी ईवी कंपनियों ने कार बैटरी के लिए फॉस्फोरिक एसिड का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। पिछले एक साल में चीनी कंपनियों द्वारा ईवी में इस्तेमाल की गई दो-तिहाई बैटरी लिथियम ऑयन फॉस्फेट (एलएफपी) बैटरी थीं। इनमें पी के लिए फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया गया है। साल 2023 में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की वैश्विक कैपेसिटी की 40 प्रतिशत बैटरियों की आपूर्ति एलएफपी बैटरियों की हुई, जबकि 2020 में यह संख्या मात्र छह प्रतिशत थी। निकल आधारित एनएमसी और एनसीए बैटरियों के लिए जरूरी निकल और कोबाल्ट जैसे महंगे और कम उपलब्धता वाले कच्चे माल के मुकाबले फॉस्फोरस की कीमत कम होने के चलते आने वाले दिनों में बैटरी उत्पादन में इसका उपयोग बढ़ेगा।

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