इसके तेल में प्रचुर मात्रा में (93 प्रतिशत) रिसिनीलिक नामक वसा अम्ल पाया जाता जिसके कारण इसका औद्योगिक महत्व अधिक है। भारत में कुल उत्पादन का एक बड़ा भाग विदेशों में निर्यात किया जाता है। इसकी खेती गुजरात, आंध्राप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब व हरियाणा में बहुतायत से की जाती है। अरंडी की फसल में कई रोग लग जाते हैं जिससे पैदावार पर भारी प्रभाव पड़ता है। अरंडी में लगने वाले मुख्य रोग हैं -
उखटा रोग: (विल्ट) - यह रोग "फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम" कवक से होता है। लगभग 43 वर्ष पूर्व राजस्थान के सिरोही जिले में सबसे पहले पाया गया था। आजकल अरंडी उगाए जाने वाले राज्यों में यह रोग पाया जाता है।
लक्षण - शुरू में रोगी पौधों की पत्तियां गिरकर सिर्फ सिरे पर कुछ पत्तियां बाकी रहती हैं। रोग के पूर्ण लक्षण आने पर पौधे नष्ट हो जाते हैं। पौधों में पानी ले जाने वाली नलियों में फफूंद जमा हो जाती है और पौधे सूख जाते हैं। यह रोग बीज एवं भूमि जनित है।
नियंत्रण -
रोग ग्रस्त खेतों में 2-3 वर्षों तक अरंडी की फसल न बोकर रोग की उग्रता को एवं फैलाव को कम किया जा सकता है।
बीजों को कार्बण्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो या थिराम 3 ग्राम प्रति किलो से उपचारित करके बुवाई करें।
मित्र फफूंद ट्राइकोडर्मा विरिडी 10 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें तथा इसी फफूंद का 2.5 किलो प्रति हैक्टेयर गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई पूर्व भूमि में देने से रोग में कमी होती है। रोग रोधी एफ.के.पी. 16, एफ.के. पी. 23, एस. के. पी106, एस. के. पी108, एस. के. आई 80, एस. के. आई 225, जे.आई 258, 48-1, जी.सीएच 7 सूत्रकृमि उखटा रोग रोधी पाये गये हैं।
फसल चक्र में बाजरा, फिंगर मिलेट, अरहर बुवाई सेउटा रोग में कमी होती है।
जड़ गलन (रूटरोट) -
लक्षण: यह रोग मैक्रोफोमिना फेजीयोलिना नामक कवक से होता है। सभी उम्र के पौधों पर रोग लग सकता है। रोगी पौधे आसानी से भूमि से निकाले जा सकते हैं। रोगी पौधों की जड़ें सड़ी हुई काली नजर आती हैं। रोगी पौधे मर जाते हैं तथा उपज में भारी कमी होती है।
नियंत्रण -
この記事は Modern Kheti - Hindi の 1st November 2024 版に掲載されています。
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
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भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
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भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
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ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
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खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।