अदरक फसल के कीट एवं रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें?
Modern Kheti - Hindi|1st November 2024
हमारे देश में अदरक की फसल एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है। अदरक के विशिष्ट गुणों की वजह से मसाला परिवार में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन इस फसल को अनेक कीट एवं रोग और सूत्रकृमि प्रभावित करते हैं जिससे इसके उत्पादन पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
अदरक फसल के कीट एवं रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें?

इसलिए इन कीट एवं रोग की रोकथाम आवश्यक है। इस लेख में अदरक की फसल के प्रमुख रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें, का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

अदरक फसल के रोग

प्रकंद गलन रोग- यह एक जटिल समस्या है, जो फफूंद एवं जीवाणु द्वारा होता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों का शीर्ष भाग पीला हो जाता है, यह पीलापन पत्तियों की सतह से होता हुआ आधार की तरफ बढ़ता है। रोगी पत्तियां झुककर नीचे की ओर लटक जाती हैं। भूमि की सतह के पास तने का भाग जलीय तथा मुलायम होकर गलने लगता है। रोगी प्रकंद सड़ने लगते हैं और अंत में पौधा मर जाता है। इस रोग के लक्षण प्रायः अगस्त सितम्बर महीने में दिखाई पड़ते हैं। पीत रोग-अदरक फसल में यह रोग फफूंद से फैलता है। इस रोग के कारण पौधों की सबसे नीचे की पत्तियां पीली हो जाती हैं। यह पीलापन पत्तियों के किनारे से शुरू होता है तथा धीरे-धीरे पूरी पत्ती पीली हो जाती है। पौधे सूखकर मर जाते हैं, लेकिन जमीन पर नहीं गिरते हैं। प्रकंद की बढ़वार रूक जाती है और नये प्रकंद काले पड़कर सिकुड़ जाते हैं।

जीवन ग्लानि रोग- यह रोग जीवाणु द्वारा फैलता है। इस रोग का मुख्य लक्षण पत्तियों का पीला होना, ढीला पड़ना तथा सूख जाना है। रोग की तीव्रता में जमीन की सतह के पास तने का भाग जलीय हो जाता है और उखाड़ने पर आसानी से प्रकंद से अलग हो जाता है। इस रोग की सबसे बड़ी पहचान है, यदि रोगी पौधे के तने या प्रकंद को काटकर पानी में कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाए तो उसमें से सफेद रंग का लसलसा पदार्थ निकलता है। यह रोग जहां पर पानी रूकता है, वहां अधिक लगता है।

अदरक फसल के कीट

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