भतीजी को बेचने के लिए सौदेबाजी कर रहे चाचा ने अपना नाम जितेंद्र बताया. साथ ही उस ने रिपोर्टर को 2 नाबालिग लड़कियां दिखाई. उस ने बताया कि एक नाबालिग लड़की की कीमत 6 से 7 लाख रुपए है और इसी के साथ उस ने एक साल के कौन्ट्रैक्ट की बात कही.
"लड़की की उम्र क्या होगी?" ग्राहक बने रिपोर्टर ने जितेंद्र से पहला सवाल पूछा.
"15-16 साल," जितेंद्र की जगह लाखन तुरंत बोला.
"उम्र कम नहीं है? कानूनी बाधा आई तो..." रिपोर्टर ने फिर सवाल किया.
इस बार जवाब जितेंद्र ने दिया, "कोई दिक्कत की बात नहीं है, अदालत से नोटरी करवा लेना. एक साल के लिए रख लो... लेकिन हां, रुपए 6 से 7 लाख देने होंगे."
"ऐं! 6 से 7 लाख रुपए. लड़की एक साल बाद वापस भी आ जाएगी." रिपोर्टर बोला.
"हांहां! और नहीं तो क्या ? जैसे ही टाइम पूरा होगा, लड़की अपने घर आ गई. एक साल के बाद दूसरी लड़की खरीदवा देंगे, फिर हम पर विश्वास हो जाएगा, तब आप जितना बोलोगे, उतनी भिजवा देंगे." जितेंद्र ने समझाते हुए रिपोर्टर को अपने विश्वास में ले लिया.
छिप कर की जाने वाली जिस्मफरोशी भले ही अंधेरे में होती हो, लेकिन इस धंधे में उतारी गई लड़कियों की सौदेबाजी खुलेआम होती है. हैरानी तो इस बात की है कि मासूम बच्चियों की बोलियां लगाने वाले उन के परिवार के अपने ही लोग होते हैं. कहीं मां तो कहीं भाई या फिर कहीं दूसरे करीबी चाचामामा, यहां तक कि बाप भी उस की कीमत तय कर बेटी को सैक्स के बाजार में ढकेल देते हैं. ऐसा मध्य प्रदेश और राजस्थान के जिन इलाकों में होता है, उस का चौंकाने वाला खुलासा एक स्टिंग औपरेशन के जरिए हुआ...
दिल्ली के एक बड़े मीडिया हाउस का एक रिपोर्टर खास रिपोर्टिंग के लिए खाक छानता हुआ राजस्थान के एक गांव के बौर्डर पर जा पहुंचा था. धुंधलका गहराने में अभी कुछ वक्त था. उस की एक व्यक्ति से मुलाकात हुई. उस ने अपना नाम लाखन बताया. रिपोर्टर से उस के बारे में पूछा.
この記事は Manohar Kahaniyan の November 2023 版に掲載されています。
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