22 नवंबर, 2022 को पुष्पा जब रात को बाजार से सामान खरीद कर घर लौटी, तब उस का मन काफी बेचैन था. उसे बारबार अपने भाई गुमान सिंह की याद आ रही थी. कई दिन हो गए थे उसे भाई मिले हुए. वह घर के पास ही अपने 17 साल के बेटे शानू के साथ रहता था. उस की एक दुकान थी. पत्नी आशा यादव से 9 साल पहले ही उस का तलाक हो चुका था. उस के बाद से बच्चे की देखभाल पुष्पा ही करती थी.
वह बड़ा होने के साथसाथ समझदार भी हो गया था, इस कारण पुष्पा उस की देखभाल के लिए भाई के घर जाने में कई बार नागा भी कर देती थी. फिर भी न जाने क्यों पुष्पा का मन उस रोज बेचैन था.
रात के 9 बज चुके थे. अपने भाई की जिंदगी और भतीजे शानू के बारे में सोचतेसोचते यह निर्णय लिया कि कल सब से पहले भाई से मिलने जाएगी. उस का और भतीजे का हालसमाचार मालूम करेगी. यही सोचतेसोचते कब उसे नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
देहरादून के गांव डोडाबाई के रहने वाले चमन सिंह के बेटे गुमान सिंह के पास काफी जमीनजायदाद थी, लेकिन करीब 2 साल पहले वहां का मकान और दुकान बेच कर वह देहरादून आ कर रहने लगा था. वह अपनी जमीन आदि संभाल नहीं पा रहा था. अपनी ही मौजमस्ती की दुनिया में मशगूल रहता था और अपनी अनापशनाप बुरी आदतों पर पैसे खर्च करता रहता था.
ऐशोआराम और मजे की जिंदगी में पैसे खत्म होने पर वह अपनी प्रौपर्टी ही बेच दिया करता था. वैसे वह अपनी बहन पुष्पा का भी काफी खयाल रखता था. बीचबीच में उस की तलाकशुदा बीवी आशा यादव भी अपने बेटे शानू से मिलने के लिए उस के पास आ जाती थी. आशा भी उसी शहर के सेलाकुई में रहती थी और वहीं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर अपनी गुजरबसर कर रही थी. उसे अकसर पैसे की तंगी बनी रहती थी.
この記事は Satyakatha の April 2023 版に掲載されています。
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