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बाल कहानियों की अलबेली और चटपटी दुनिया
दादा-दादी की कहानियों का पिटारा
पिशाच उजले चेहरों के बदनुमा दाग
पत्रकारिता के साथ संजीव पालीवाल ने उपन्यास लेखन के क्षेत्र में भी अपनी कलम चलायी है। उनका पहला उपन्यास 'नैना' पाठकों में बेहद लोकप्रिय हुआ था। हाल में उनका दूसरा उपन्यास 'पिशाच प्रकाशित हुआ है।
ज़ेन : सरल जीवन जीने की कला
शुनम्यो मसुनो ज़ेन को आधुनिक दुनिया के लिए बेहद सरल तरीके से प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। वे एक प्रसिद्ध बौद्ध संन्यासी हैं तथा पुरस्कार प्राप्त ज़ेन गार्डन डिज़ाइनर भी हैं।
जीवन से भरी एक स्त्री
मशहूर साहित्यकार उषाकिरण खान के बारे में
विरोधाभासों से बेपरवाह गुजरती जिंदगी
यह पुस्तक मूल रूप से डेनिश में 2011 में प्रकाशित हुई थी। वर्ष 2012 में इस उपन्यास के लिए जब लेखिका हेल्ले हेल्ले को प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार द गोल्डन लॉरेल से सम्मानित किया गया तो मेरा ध्यान इस उपन्यास ने अपनी ओर खींचा। मैंने इसे पढ़ा और तब ही इसका हिंदी अनुवाद करना तय कर लिया था। लेखिका हेल्ले हेल्ले और उनके प्रतिष्ठित प्रकाशन ग्यूलडेंडल ग्रुप एजेंसी ने सहर्ष स्वीकृति दे दी। इस बीच मुझे डेनिश लिटरेचर संस्था के सचिव श्री पीटर होल्लेरूप ओलेसेन से ज्ञात हुआ कि डेनिश आर्ट फाउंडेशन' में डेनिश साहित्य का दूसरीभाषाओं में अनुवाद के लिए अनुदान का प्रावधान है, सो इस अनुदान के लिए आवेदन किया गया और सौभाग्य से उपन्यास के हिंदी प्रकाशन के लिए 'डेनिश आर्ट फाउंडेशन से अनुदान प्राप्त हुआ।
नारीवादी निगाह से
इस किताब की बुनियादी दलील नारीवाद को पितृसत्ता पर अन्तिम विजय का जयघोष सिद्ध नहीं करती इसके बजाय वह समाज के एक क्रमिक लेकिन निर्णायक रूपान्तरण पर जोर देती है ताकि प्रदत्त अस्मिता के पुरातन चिह्नों की प्रासंगिकता हमेशा के लिए खत्म हो जाए। नारीवादी निगाह से देखने का आशय है मुख्यधारा तथा नारीवाद, दोनों की पेचीदगियों को लक्षित करना। यहाँ जैविक शरीर की निर्मिति, जातिआधारित राजनीति द्वारा मुख्यधारा के नारीवाद की आलोचना, समान नागरिक संहिता, यौनिकता और यौनेच्छा, घरेलू श्रम के नारीवादीकरण तथा पितृसत्ता की छाया में पुरुषत्व के निर्माण जैसे मुद्दों की पड़ताल की गई है। एक तरह से यह किताब भारत की नारीवादी राजनीति में लम्बे समय से चली आ रही इस समझ को दोबारा केन्द्र में लाने का जतन करती है कि नारीवाद का सरोकार केवल महिलाओं से नहीं है। इसके उलट, यह किताब बताती है कि नारीवादी राजनीति में कई प्रकार की सत्ता-संरचनाएँ सक्रिय हैं जो इस राजनीति का मुहावरा एक दूसरे से अलग-अलग बिन्दुओं पर अन्तःक्रिया करते हुए गढ़ती हैं।
जीने की राह श्रीमद्भगवद्गीता
निस्संदेह श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। मैं समझता हूँ, लोकप्रियता में इससे बढ़कर कोई दूसरा ग्रंथ नहीं और मैं पिछले पचास वर्षों से निरंतर देख रहा हूँ कि इस दिव्य पुस्तक की लोकप्रियता आधुनिक विज्ञानवादी समाज में दिन-प्रति -दिन बढ़ती ही जा रही है। गीता के उपदेशों को समझने के बाद सभी ने खुले मन से इस दिव्य पुस्तक को स्वीकृत किया है, अतः मैं यह बहुत जिम्मेदारी से कह सकता हूँ कि श्रीमद्भगवद्गीता किसी संप्रदाय विशेष का ग्रंथ न होकर सभी का ग्रंथ है। मेरा अटूट विश्वास है कि
आइडिया से परदे तक सपने को सच में बदलते देखना
ज़्यादातर लोग अपने सपनों का पीछा न करने के बहुत से बहाने ढूँढ़ लेते हैं। अगर आपका सपना फ़िल्में लिखने का है तो आपके बहाने काफ़ी हद तक ठीक भी हैं
अमीर ख़ुसरो- हिन्दवी लोक काव्य संकलन
प्रो. गोपी चन्द नारंग ने अमीर ख़ुसरो के कृतित्व पर कई दशकों से गम्भीर शोध किया है। अमीर ख़ुसरो ने हिन्दवी में जो रचनाएं लिखीं और संकलित नहीं की थीं और जो लम्बे समय से जनमानस के मानस में सुरक्षित थीं, उन्हें प्रो. नारंग ने सम्हालने और उनका सही पाठ तैयार करने का अभूतपूर्व कार्य किया है
'बैड मैन असल में एक गुड मैन है'
बैड मैन- गुलशन ग्रोवर की आत्मकथा
रहस्य और रोमांच से भरा उपन्यास
वेयरवोल्फ की कथाओं को हमने अभी तक सुना था। उन कहानियों को इस उपन्यास से फिर से जीवन्त कर दिया है
अमृता प्रीतम और साहिर
साहिर अमृता के जीवन में उस प्रेम की तरह आये जो अपनी अनुपस्थिति में भी हमेशा स्थायी तौर पर उपस्थित रहा-टीस से भरे एक ज़ख़्म की तरह, या उनके सपनों के हमसफ़र की तरह जिसकी स्मृतियाँ बहुत गहरी थीं और जिन स्मृतियों से लगातार खून रिसता रहता था।
स्वाँग यानी बर्बाद व्यवस्था का रंगमंच
उपन्यास में शुरुआत से चल रही ढेर सारी कथाओं को लेखक ने जिस तरह से आखिर में समेटा है वो सिर्फ ज्ञान चतुर्वेदी ही कर सकते हैं. यह सच है कि बुंदेलखंड ज्ञान चतुर्वेदी में बसता है और उनकी बुंदेली में ही बेजोड़ रंग जमता है.
एक नई रोशनी की तरह है 'कोरोनानामा' की कहानियाँ
यकीनन यह किताब एक खास उपहार है समाज के लिए जो बुजुर्गों के होने के मायनों को समझेगा
ह्यूमनकाइंड मानव-जाति का आशावादी इतिहास
'ह्यूमनकाइंड' हमें एक बेहतर समाज विकसित करने के लिए परस्पर सहयोग में विश्वास करने, दयालु होने और एक-दूसरे पर भरोसा करने के लिए दार्शनिक और ऐतिहासिक आधार उपलब्ध कराती है....
प्रसिद्ध उर्दू व्यंग्यकार के लेखों का संकलन
पुस्तक में पितरस बुख़ारी के 13 लेख शामिल हैं, जिन्हें पढ़ने से सामाजिक जीवन के कई पड़ावों की हकीकत से तो पाठक एकाकार होता ही है, साथ ही वह लेखक की व्यंग्यात्मक शैली से गदगद और हर्षोल्लास से सराबोर हो उठता है।
जब प्यार किसी से होता है
वह अहसास सचमुच अलग होता है। ऐसा अहसास जिससे दुनिया बदली-बदली सी लगती है और हर पल खुशियों भरा...
जीवन की जटिलताओं के बीच उम्मीद की हरियाली
कवि को जीवन का व्यापक अनुभव है और इसीलिए देश की सीमा पर ड्यूटी दे रहा जवान और उसका दर्द भी बार-बार उनकी कविता में झलकता है। इस संदर्भ में 'जवान' कविता की पंक्तियाँ दृष्टव्य है-"बर्फ बीच सुलगता/जो जल के पार भी आग उगलता/खेत की मेड़ों पर बिल बनाकर रक्षा करता" और "अंधकार में जागनेवाला/जीता प्राण को मुट्ठी में बाँध हरदम" वह जवान। यह इसलिए भी संभव है कि रविन्द्र कुमार जैसे नौजवान गाँव की पृष्ठभूमि से अनेक बाधाओं को पार करते हुए यहाँ तक पहुंचे हैं।
जब आप प्रेरित होते हैं तो आपको दिशा मिलती है
नौकरी छोड़ने के बाद व्यवसाय में नाकामी की ओर बढ़ते हुए वेक्स किंग का जब आत्मविश्वास खोने लगा तो उन्होंने चुनौतियों का सामना करने वाले लोगों की प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़कर उसे दोबारा हासिल किया
हिन्दू धर्म के सवालों का प्यार और मान से भरा जवाब
हिन्दुओं को काल, देश, सीमा और पौराणिक पैमानों में विशुद्ध हिन्दू धर्म की तलाश करने की अवधारणा से ऊपर उठना होगा क्योंकि इस वजह से रूढ़िवादिता पैदा होती है
रिश्ते और फ़रेब का सफ़र
अखिलेख द्विवेदी ने यह बताने की कोशिश की है कि आजकल हम आभासी दुनिया के फेर में पड़कर अपनी निजि जिंदगी उनके हवाले कर रहे हैं और जो असली जिंदगी है उससे दूर होते जा रहे हैं। वो हमारी भावनाओं से खेल रहे हैं।
जेफ़ बेज़ोस और ऐमेज़ॉन का युग
एक छोटे स्टार्ट-अप से वेब की सबसे बड़ी रिटेलर बनने तक की आकर्षक यात्रा यह दिखलाती है कि अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए बेज़ोस के दृढ़ संकल्प ने आज हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल दिया है
चाणक्य की नीति और रीति का रोमांच
त्रिलोकनाथ पांडेय का उपन्यास 'चाणक्य के जासूस' एक ऐसा उपन्यास है जिसमें हज़ारों साल पूर्व के इतिहास को रोचकता के साथ प्रस्तुत किया गया है। इसे जासूसी कला को समझने वाले जरूर पढ़ें या जिन्हें गुप्तचरी कला पसंद है।
कोरोना काल की 50 सच्ची घटनाएँ
मयंक पाण्डेय की यह किताब चर्चित किताबों में शामिल है। यह किताब लॉकडाउन के पलायन से लेकर प्रेरणादायक कहानियों को संजोए हए है
कल्कि, महामारी और इनसान को सबक
किताब 'इकोलॉजिकल बैलेंस' की बात करती है। कल्कि कहता है कि वह पृथ्वी पर संतुलन स्थापित करके रहेगा...
वाया फुरसतगंज- आधुनिक समाज और राजनीति का आईना
वाया फुरसतगंज की कहानी इलाहाबाद की है। इसलिए बात सीधे इलाहाबाद से ही शुरू करते हैं। लेकिन इस शहर के बारे में एक सीधी बात कहना ही शायद सबसे टेढ़ा काम है। इसलिए न चाहते हुए भी बात कहाँ से और कैसे शुरू की जाय, समझ में नहीं आता। अच्छा..! चलिए तनिक कोशिश करते हैं।
यशस्वी भारत - राष्ट्रीयता हो संवाद का आधार
जिस समाज में संवाद नहीं है, वह आदि समाज कैसे आगे बढ़ेगा। संवाद उत्पन्न होने के लिए गंतव्य की स्पष्टता चाहिए। मैं कौन हूँ, इसकी स्पष्टता चाहिए, मुझे कहाँ जाना है और मैं कौन हूँ, उसके संदर्भ में परिस्थितियों का कैसे हमें विचार करना है, इसकी स्पष्टता चाहिए।
प्यार, परिवार और मर्डर
आपको पता है, दुनिया में ऐसी कौन-सी इमोशन है, जिसको क़बूल करना सबसे मुश्किल होता है? वह है जलन। लेकिन मेरे लिए यह मुश्किल नहीं। ये सच है कि मुझे उससे जलन होती थी। बचपन से ही उसने जैसी जिंदगी जी, जैसा प्यार उसे फैमली और बाद में सौरभ से मिला, जितनी आसानी से उसके लिए सबकुछ हुआमुझे इससे जलन होती थी। उसके अंदर एक एनटाइटलमेंट था, जैसे कि यह सब उसी का हक़ था। मुझे इससे घिन आती थी। मैं भीतर ही भीतर घुटती रहती थी। लेकिन आज वो सब ख़त्म होने वाला था।
आरएसएस के सफ़र का एक ईमानदार दस्तावेज़
उस वक़्त मैं दिल्ली के राजेन्द्र प्रसाद मार्ग पर सांसद वाले बंगले में सुन्दर सिंह भंडारी के साथ बैठा चाय पी रहा था। खबरिया चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी, “सुन्दर सिंह भंडारी को राज्यपाल नियुक्त किया गया।” मैंने उनसे पूछा, “अब तो राजभवन जाने की तैयारी करनी पड़ेगी?”
ख़ानज़ादा मेवाती अस्मिता और शौर्य का दस्तावेजी प्रमाण
चौदहवीं सदी के मध्य में तुगलक, सादात, लोदी और मुगल राजवंशों द्वारा दिल्ली और उसके आसपास जो तबाही मचाई, मेवातियों ने उसका जिस शौर्य के साथ ऐसी ताकतों का मुकाबला किया और भारी संख्या में बलिदान दिए। उन्हें इतिहास में वह स्थान नहीं दिया गया, तो दिया जाना चाहिए था। बल्कि उसे भुलाने की कोशिश की गयी