कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। दीपावली के साथ पांच पर्व जुड़े होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. धन-त्रयोदशी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। इस दिन व्यापारीगण अपना हिसाब-किताब समाप्त करते हैं वहीं बही-खाता तथा रोकड़ एकत्र कर उनकी पूजा करते हैं। संसार के रोगार्त प्राणियों के लिए अमृत कलश लिए हुए समुद्र मंथन से उत्पन्न होने वाले धन्वन्तरि ने संसार में आयुर्वेद विद्या का प्रसार कर जो महान उपकार किया है। वह किसी से छिपा नहीं है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को आरोग्य के देव धनवंतरि की आराधना की जाती है, इस दिन को साधारण जनता धनतेरस के नाम से जानती है। धन्वन्तरि द्वारा बताया गया यह रहस्य हमें गांठ बांध लेना चाहिए कि-
यस्य देशस्य यो जन्तुस्तज्जं
तस्यौषधं हितम्।
अर्थात् जो पुरुष जिस देश में उत्पन्न हुआ है उस देश की भूमि में उत्पन्न जड़ी बूटियों से निर्मित औषधि ही उसके लिए वस्तुतः लाभकारी हो सकती है। इस दिन प्रदोष काल में यम के लिए दीपदान एवं नेवैद्य समर्पित करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। धरतेरस के दिन सोना-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने की भी प्रथा है। ऐसा माना जाता है कि चांदी चंद्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है।
2. नरक-चतुर्दशी
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के नाम से पुकारा जाता है। आज के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक अत्याचारी शासक का वध करके संसार को भीतिमुक्त किया था, इस विजय की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है, ऐसा पुराणों में उल्लेख मिलता है।
नरक चतुर्दशी कथा
この記事は Sadhana Path の October 2022 版に掲載されています。
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।