कई लोग यह सोचते हैं कि आत्म-अनुशासन और इच्छाशक्ति एक ही चीज़ है। वास्तव में, इच्छाशक्ति एक सीमित संसाधन है जो जल्दी ही समाप्त हो जाती है। वाहन में ईंधन की तरह हम इसका जितना अधिक प्रयोग करते हैं, यह उतनी ही जल्दी समाप्त हो जाती है। निश्चित रूप से इच्छाशक्ति उपयोगी है। ऊर्जा का अस्थायी भंडार हमें हमारी तात्कालिक इच्छाओं के लिए एक उद्देश्यपूर्ण क़दम उठाने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन एक संरचित तरीके से बार-बार ऐसा करना ? इसके लिए आत्म-अनुशासन की ज़रूरत होती है। इच्छाशक्ति आपको कल सुबह पांच बजे बिस्तर से बाहर निकलने में मदद करेगी, आत्म-अनुशासन आपको ऐसा रोज़ सुबह करने में मदद करेगा। इच्छा-शक्ति आपको आत्म-नियंत्रण प्रदान करेगी जो इस दोपहर बाद जंक फूड खाने की आपकी इच्छा को दबाएगा। आत्म-अनुशासन आपको अधिक स्थायी आत्म-नियंत्रण प्रदान करेगा, जिसकी आपको निकट भविष्य में जंक फूड से बचने के लिए आवश्यकता पड़ेगी। इच्छाशक्ति ऐसे जान-पहचान वाले की तरह है जो कभी-कभी आपके साथ होता है, लेकिन अधिकांश समय में नहीं होता है। उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। आत्म-अनुशासन ऐसे दोस्त की तरह है जो हमेशा आपके साथ होता है, चाहे कोई भी परिस्थिति हो। जब आप इस 'दोस्ती' को विकसित कर लेते हैं तो आप पूरे आत्मविश्वास के साथ इस पर भरोसा कर सकते हैं। आइए, इस बात पर चर्चा करते हैं कि इसे कैसे विकसित करना है।
कैसे आएगा आत्म-अनुशासन?
इसे विकसित करने के लिए समय और प्रयास की ज़रूरत पड़ती है, जैसे आदत बनाने के लिए।
1. एक मोह-मुक्त माहौल बनाएं
この記事は Aha Zindagi の August 2024 版に掲載されています。
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अन्न उपजाए अंग भी उगाए
बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...
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लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।
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क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!
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भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....
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