शांत घाटी में शीत की छटा
Aha Zindagi|August 2024
कश्मीर में गुलमर्ग, पहलगाम जैसे सुपरिचित स्थलों के उलट, आम सैलानियों की नज़रों से दूर एक संवेदनशील घाटी है गुरेज़। कभी आतंकियों की घुसपैठ से सिसकती थी, लेकिन आज अपनी शांत शीत आभा लिए पर्यटकों का स्वागत कर रही है। इस बार की हमारी यायावरी में है नीलम नदी के तट पर सफ़ेद चादर ओढ़े गुरेज़ वैली की ख़ूबसूरती और प्रकृति के साथ ताल मिलाती इसकी संस्कृति की बानगी।
सुशांत सिंहल
शांत घाटी में शीत की छटा

गत जून मास में बैठे-बिठाए सोशल मीडिया के एक प्रख्यात यात्रा ग्रुप के माध्यम से कश्मीर दर्शन का कार्यक्रम बन गया। कश्मीर तो लगभग पंद्रह वर्ष पहले भी हम सपरिवार गए थे, पर तब हम आम सैलानियों की भांति श्रीनगर, गुलमर्ग और पहलगाम घूमकर लौट आए थे। इस बार कार्यक्रम में गुरेज़ घाटी और टीटवाल जैसे कश्मीर के कुछ ऐसे अनदेखे, अनसुने दर्शनीय स्थलों की बात थी, जिनके बारे में कश्मीर जा रहे आम पर्यटकों को जानकारी ही नहीं होती। भला ऐसे प्रस्ताव को कैसे नकारा जा सकता था ! 1 से 9 जून तक की इस नौ दिवसीय घुमक्कड़ी में हम 18 यात्री शामिल हुए जयपुर, दिल्ली, गुड़गांव, कसौली आदि शहरों से थे और हम सब चार कारों में सवार थे। ये चारों कारें 1 जून की सुबह अपने-अपने शहरों से चंडीगढ़ के लिए रवाना हुईं, जहां से आगे की यात्रा एक साथ की जानी थी।

लगभग 2,600 किमी की हमारी इस यात्रा में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, इसलिए आराम से चलते हुए और नियमित अंतराल पर विश्राम करते हुए हम पहली रात कठुआ (जम्मू संभाग) में रुके और अगली रात श्रीनगर के होटल में बिताई। इस प्रकार 1 और 2 जून के पड़ाव के बाद 3 जून की सुबह हमारी यात्रा गुरेज़ घाटी के लिए आगे बढ़ी।

केवल छह माह खुलती है घाटी

गुरेज़ वास्तव में कश्मीर के धुर उत्तर में बांदीपुरा जिले की एक तहसील है जिसकी श्रीनगर से दूरी 123 किमी है। गुरेज़ समुद्र तल से 8,000 फीट की ऊंचाई पर है, लेकिन वहां तक पहुंचने 11,672 फीट की ऊंचाई पर स्थित राज़दान दर्रे को पार करना होता है। साल के छह महीने राज़दान दर्रा भारी बर्फबारी के कारण यातायात के लिए बंद रहता है और इस कारण गुरेज़ का संपर्क भी शेष हिंदुस्तान से कटा हुआ रहता है। अप्रैल से सितंबर तक हम गुरेज़ देखने जा सकते हैं और मई-जून के महीने घूमने की दृष्टि से सर्वोत्तम हैं।

गुरेज़ सामरिक दृष्टि से बहुत संवेदनशील है, क्योंकि गुरेज़ और पाक अधिकृत कश्मीर को किशनगंगा नदी ही अलग करती है। ये नदी पाक अधिकृत कश्मीर में नीलम नदी के नाम जानी जाती है। आगे जाकर किशनगंगा पुनः पाकिस्तान की ओर मुड़ जाती है।

बांदीपुरा से गुरेज़ तक के मार्ग में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की जांच चौकियां हैं जहां अपने आधार कार्ड और वाहन की जानकारी देकर हमें आगे बढ़ना होता है।

この記事は Aha Zindagi の August 2024 版に掲載されています。

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