मुझे हुए अब दो साल से भी अधिक समय हो गया है। इस समयावधि में मेरे कुछ अनुभव रहे हैं। एथिकल-वीगनिज़्म का अर्थ एक ऐसी जीवनशैली का निर्वाह होता है, जिसमें पशुओं के साथ किसी प्रकार की हिंसा न हो। यह केवल भोजन तक ही सीमित नहीं है, लेकिन भोजन इसका एक बड़ा हिस्सा है। बहुत सारे लोग स्वास्थ्य कारणों से भी वीगन बनते हैं, विशेषकर वे जो लैक्टोस-इनटॉलरेंट हों और दूध से निर्मित उत्पादों के साथ सहज नहीं। विटामिन बी-12 को छोड़कर हर पोषक तत्व शाकाहारी भोजन से प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन नॉन-वीगन और यहां तक कि मांसाहारी भारतीयों में भी अमूमन विटामिन बी-12 की डेफिशिएंसी रहती है, जिसके लिए उन्हें सप्लीमेंट लेना होता है।
सबसे बड़ी है जो चुनौती
इन दो वर्षों की सबसे बड़ी चुनौती मेरे लिए सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक रही है। पश्चिम में किसी के वीगन होने और भारत में किसी के वीगन होने में बहुत अंतर है। पश्चिमी देशों का दूध और उससे निर्मित वस्तुओं से भारत सरीखा सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंध नहीं है। भारत में दूध, दही, घी, मक्खन, छाछ, पनीर, खोया और छेना के हज़ार सांस्कृतिक आयाम हैं, कोई उत्सव या त्योहार इनसे निर्मित सामग्रियों के बिना पूरा नहीं होता। वीगन बनने से पूर्व मैं दूध से निर्मित मिठाइयों का नित्य ही सेवन करता था। किसी नए शहर जाता तो पहले उसकी प्रसिद्ध मिठाइयों का भोग लगाना, कोई मित्र किसी शहर से आ रहा हो तो उससे कह देना कि वहां की मिठाइयां लेते आना या भेंट में भिजवा देना- यह आदत थी। मैंने 'एक मिठाईलाल की बही' शीर्षक से लेखमाला लिखी हैं। मेरी पुस्तक 'अपनी रामरसोई' का आधे से ज़्यादा हिस्सा मिठाइयों पर एकाग्र है। फिर दिन में दो-तीन मर्तबा चाय-कॉफ़ी का सेवन तो सभी की तरह होता ही था। वैसे किसी व्यक्ति का सहसा वीगन हो जाना उसके जीवन में जैसा रागात्मक-शून्य पैदा कर देता है, रोज़मर्रा की आदतों में एक अभाव रच देता है या उत्सवों-समारोहों में सब लोगों के बीच वह जैसे अन्यीकरण (एलीनिएशन) का अनुभव करता है, वह भारत में वीगन होने की बड़ी चुनौती है।
विकल्प हैं पर मिलते नहीं
この記事は Aha Zindagi の November 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は Aha Zindagi の November 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
अन्न उपजाए अंग भी उगाए
बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।
सदियों के शहर में आठ पहर
क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....
एक वीगन का खानपान
अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...
सदा दिवाली आपकी...
दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।
'मां' की गोद भी मिले
बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।