試す 金 - 無料
आलस्य आभूषण है
Aha Zindagi
|February 2025
जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।

तुम आलसी हो ! तो किसी काम के नहीं हो ! तुम तुम अलकुल बेकार हो! समाज में आलसी लोगों पर इस तरह की टिप्पणी अक्सर देखने और सुनने को मिलती है। अपनी शारीरिक ऊर्जा का उपयोग न करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को आलसी कहा जाता है। ऐसे लोगों को अक्सर तिरस्कार भरी नज़रों से भी देखा जाता है। अमूमन दुनिया की तमाम संस्कृतियों में आलस का अर्थ नकारात्मक ही लगाया जाता है। किंतु बहुत सारे शोध और तथ्यों के आधार पर आलस के सकारात्मक होने का दावा किया जाता है। इस विषय पर काम करने वाले जानकारों का मानना है कि एक आलसी व्यक्ति सावधानीपूर्वक प्रबंधन के द्वारा अपनी ऊर्जा को ख़र्च करता है। इससे वह अनावश्यक कामों से भी बच जाता है। अमेरिकी साइंस फिक्शन लेखक रॉबर्ट ए. हेनलेन कहते हैं कि प्रगति सुबह जल्दी उठने वालों द्वारा नहीं की जाती। यह उन आलसी लोगों द्वारा की जाती है जो किसी काम को करने के आसान तरीके खोजने की कोशिश करते हैं।
इसलिए आज शायद आलस के प्रति अपने नज़रिए को ज़रा बदलने की ज़रूरत है, या यूं कहें कि एक नया दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है।
दूसरा पहलू भी तो देखिए
अगर आपको ऐसा लगता है कि आलसी तो केवल इंसान ही होते हैं तो आप ग़लत सोच रहे हैं। दरअसल, जानवर भी आलसी होते हैं। कई जानवर शिकार न करने के बहाने भी बनाते हैं। ठीक इसी तरह जिस काम को करने में ज़्यादा मेहनत लगती है, इंसान उससे बचना चाहता है। व्यक्ति ऑफ़िस के कामकाज से भी जल्दी छुटकारा पाना चाहता है।
शारीरिक गतिविधियों पर जितना हो सके उतना अंकुश लगाने की कोशिश करता है। पूछा जा सकता है कि क्या ऐसे व्यक्ति आलसी होते हैं? किसी काम के प्रति अत्यधिक सक्रियता के बजाय कम सक्रियता को तरजीह देने वाला व्यक्ति आलसी की श्रेणी में आ जाता है। किंतु, अगर इसके दूसरे पहलू पर विचार किया जाए तो हो सकता है कि वह उस काम को नापसंद करता हो! सक्रिय होना अथवा न होना हमारी रुचि पर भी निर्भर करता है। एक व्यक्ति पढ़ने के प्रति सक्रिय है तथा खेलने के प्रति उदासीन। दूसरा व्यक्ति ठीक इसके विपरीत प्रकृति का है। तो क्या ऐसा कहा जा सकता है कि पढ़ने वाला खेलने के मामले में आलसी है तथा खेलने वाला पढ़ने के मामले में? ये भी हो सकता है कि वे इस उदासीनता का कारण अपने आसपास के अनुपयुक्त वातावरण को मानते हों!
このストーリーは、Aha Zindagi の February 2025 版からのものです。
Magzter GOLD を購読すると、厳選された何千ものプレミアム記事や、9,500 以上の雑誌や新聞にアクセスできます。
すでに購読者ですか? サインイン
Aha Zindagi からのその他のストーリー

Aha Zindagi
हर क्षण परिवर्तन
समय के साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलना अनिवार्य है।
1 mins
July 2025

Aha Zindagi
कौन नहीं है मक्खीचूस!
व्यक्ति कंजूस है या फिजूलख़र्च यह तय करने की पहली शर्त है, उसके पास पैसा हो। पैसा नहीं, तो आदमी न तो कंजूस हो सकता है न फिजूलख़र्च। नंगा क्या तो नहाए और क्या निचोड़े? कड़का क्या तो कंजूसी करे और क्या फिजूलखर्ची ?
3 mins
July 2025

Aha Zindagi
यूपीआई न हो जाए दुखदायी
यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस ने एक क्लिक से लोगों का जीवन काफ़ी हद तक आसान तो बनाया है, लेकिन जैसे-जैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ी है, इससे जुड़े धोखाधड़ी के मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में सही जानकारी रखना और सतर्क रहना बेहद आवश्यक है।
6 mins
July 2025

Aha Zindagi
चार सेकंड काफ़ी हैं...
... एक सांस लेने के लिए। इतना ही समय अंतराल बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है। यह भावी नकारात्मक को रोककर सकारात्मक परिणाम की संभावना बढ़ा सकता है। चार सेकंड में आपके जीवन को बदल देने की जादुई शक्ति समाई है।
8 mins
July 2025

Aha Zindagi
ख़ुशियों की नगरी कोलकाता
भारत के प्रमुख महानगरों में से एक कोलकाता कई अनूठी विशेषताओं को सदियों से संजोए हुए है।
1 mins
July 2025

Aha Zindagi
अधब्याहे
चाचा ने भतीजे में अपना अतीत देखा तो भतीजे को चाचा में अपना भविष्य दिख गया। न भूत सुखद था न भावी। लेकिन दोनों से ज़्यादा प्रभावी थी ऐंठ। वही ऐंठ जो पवित्र आग में पके रिश्तों को भी तोड़ डालती है। चार टूटे हुए अधब्याहों की यह कहानी परख रही है कि ऐंठ पक्की होती है या पहल...।
6 mins
July 2025

Aha Zindagi
महानगर में मेह
महानगर की बारिश भी अपने साथ बूंदें लाती है, लेकिन ये बूंदें एक अलग दुनिया रचती हैं। ट्रैफ़िक की चीखती आवाज़ों के बीच भीगी सड़कों पर भागते लोग, पानी में भीगते ऑटो और फुटपाथ की छतरियों के नीचे ठिठुरते मुसाफ़िर, हर चेहरा अपनी ही कहानी कह रहा होता है।
5 mins
July 2025

Aha Zindagi
इत्तेफ़ाक से हुई कॅरियर की शुरुआत
क़िस्मत ने एक नहीं, दो-दो मौक़े दिए और एक मुलाक़ात ने सादिया की ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी। रही-सही कसर विधु विनोद चोपड़ा के फोन से पूरी हुई।
3 mins
July 2025

Aha Zindagi
लाइक दो, लाइक लो
सोशल मीडिया की इस चमचमाती दुनिया में दोस्ती की परिभाषाएं बदल रही हैं। यहां रिश्ते दिलों से नहीं, नोटिफिकेशन और रिएक्शन से चल रहे हैं। लाइक, कमेंट और टैग- ये नए रिश्तों की नब्ज़ बन चुके हैं। हर पोस्ट एक मंच है और हर यूजर एक अदृश्य कलाकार, जो तालियों की गूंज नहीं, लाइक्स की गिनती से अपने हुनर को माप रहा है।
3 mins
July 2025

Aha Zindagi
थाल बजा
कोई घटना नहीं, उस पर हमारी प्रतिक्रिया ही अच्छा या बुरा तय करती है।
1 min
July 2025