जयंत चौधरी के पास आगे की सियासत चलाने के लिए अब बहुत कम विकल्प बचे हैं. अब या तो वह अपनी पार्टी को किसी और समान विचारधारा वाले दल में समाहित कर लें या फिर पार्टी को पुनः खड़ा के लिए संघर्ष करें, जो आसान नहीं है. रालोद के मान्यता छिनने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है. रालोद के वोटरों को अपने लिए नये विकल्प तलाशना होंगे. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी को भी फायदा हो सकता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में करीब पांच दशकों के बाद ऐसा मौका आया है, जब चौधरी चरण सिंह के खानदान की राजनैतिक विरासत पूरी तरह से खत्म होती नजर आ रही है.
भारत निर्वाचन आयोग ने जिस राष्ट्रीय लोकदल से राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा छीना है उसकी नींव पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने रखी थी. इस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह के पुत्र जयंत चौधरी हैं. बताते चले कि राष्ट्रीय लोकदल नाम की पार्टी बनाने का सपना सबसे पहले अजीत सिंह के पिता पूर्व कांग्रेस नेता चौधरी चरण सिंह ने 1974 के चुनाव में देखा था. उन्होंने ही लोकदल के नाम से पार्टी की मान्यता के लिए आवेदन किया. लेकिन मान्यता नहीं मिली. इसके कारण चौधरी चरण सिंह के समर्थक के उम्मीदवारों ने बीकेडी के बैनर से ही चुनाव लड़ा, लेकिन चुनावी सभाओं में लोकदल का नया बैनर भी लहराया जाता था. देश के कई दिग्गज कर्पूरी ठाकुर, बीजू पटनायक आदि इस दल में साथ रहे. इस चुनाव में इगलास व गंगीरी सीट बीकेडी ने जीती. इमरजेंसी के बाद सातों सीटों पर कब्जे का इतिहास भी 1977 में चरण सिंह के नेतृत्व में रचा गया.
1985 के चुनाव में लोकदल का उदय हुआ. पार्टी के बैनर पर इगलास व खैर सीट पर जीत दर्ज हुई. इसी चुनाव में मुलायम सिंह पार्टी में शामिल हुए. जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोप से बचने के लिए मुलायम सिंह को विरोधी दल के नेता का जिम्मा और राजेंद्र सिंह को प्रदेशाध्यक्ष का जिम्मा दिया गया. 1989 के चुनाव में पिता के देहांत के बाद अजित सिंह के हाथ पार्टी की कमान आई. यह चुनाव जनता दल के बैनर तले लड़ा लेकिन पार्टी अलीगढ़ में हार गई. सिर्फ एक खैर सीट जीत सकी. खुद राजेंद्र सिंह इगलास से चुनाव हार गए.
この記事は Gambhir Samachar の April 16, 2023 版に掲載されています。
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पश्चिमी यूपी में तेज होगी जाट वोट बैंक पर कब्जे की जंग
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी की मान्यता खत्म होने से छोटे चौधरी जयंत सिंह की सियासत पर ग्रहण लग गया है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने सहित कई सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी की राजनैतिक पारी पर यदि विश्राम लग जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
अब 'वायनाड' का क्या होगा?
केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सदस्य रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग इस सीट पर जल्द ही उपचुनाव करवा सकता है? जानकारों का कहना है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग हर कानूनी पहलू को देखेगा और राहुल गांधी के अगले कदम पर भी आयोग की नजर रहेगी. राहुल गांधी की ओर से जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है. वहीं, चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार राहुल के अयोग्य घोषित होने के बाद वायनाड सीट पर उपचुनाव कराने से पहले तमाम पहलुओं की समीक्षा की जाएगी. आयोग के सूत्रों के अनुसार पहले से तय गाइडलाइंस के अनुरूप जो नियम हैं, उनके तहत आयोग कार्रवाई करेगा. नियम के अनुसार, खाली सीट को 6 महीने के अंदर भरना होता है. सूत्रों के अनुसार, इस बार आयोग कोई फैसला लेने से पहले तमाम कानूनी पहलुओं और घटनाक्रमों की समीक्षा करेगा. दरअसल, इसी साल आयोग अपने ही कुछ फैसलों से कानूनी अड़चनों में फंसा रहा.
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